अमेरिका और नाटो ने हमें कमजोर करने की मंशा जाहिर कर दी है: रूस
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने बुधवार को कहा कि अमेरिका और नाटो के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने रूस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने और कमजोर करने के अपने प्रयासों को न केवल तेज किया है, बल्कि यूक्रेन युद्ध में रूस को मात देने के लिए अपनी रणनीतियों को दस गुना अधिक सशक्त कर दिया है। लावरोव के इस बयान में पश्चिम और रूस के बीच बढ़ते तनाव की स्पष्ट झलक मिलती है, जिसमें उन्होंने पश्चिम के प्रयासों को ‘विफल होने के लिए अभिशप्त’ बताया।
रूस के खिलाफ पश्चिमी आक्रमण
लावरोव ने कहा कि पश्चिमी देश, खासकर अमेरिका, रूस को नियंत्रित करने के लिए अब एक ‘संपूर्ण मिश्रित आक्रमण’ की नीति अपना रहे हैं। इसका अर्थ यह है कि सैन्य, राजनीतिक, और आर्थिक हर स्तर पर रूस को कमजोर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। लावरोव ने यह भी आरोप लगाया कि अमेरिका और नाटो ने खुले तौर पर रूस को हाशिये पर ले जाने और उसे कमजोर करने की मंशा जाहिर कर दी है।
रूस के समर्थन में बढ़ते अंतरराष्ट्रीय संबंध
रूसी विदेश मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि उनके खिलाफ चल रहे ये प्रयास सफल नहीं होंगे। इसके विपरीत, अधिकांश देशों ने रूस के साथ अपने संबंधों को और भी अधिक मजबूत किया है। उन्होंने रूस में हुए हाल ही में ब्रिक्स सम्मेलन का हवाला देते हुए इसे रूस की अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थिति की पुष्टि के रूप में प्रस्तुत किया। उनका कहना था कि इस सम्मेलन ने साबित कर दिया कि रूस को अलग-थलग करने के प्रयास असफल रहे हैं और इसके बजाय रूस के प्रति समर्थन बढ़ा है।
रूस की परमाणु रणनीति और शक्ति प्रदर्शन
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसी सप्ताह एक सामरिक परमाणु अभ्यास का ऐलान किया, जिसमें परमाणु शक्ति प्रदर्शन के तहत बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों के परीक्षण का अभ्यास किया जाएगा। पुतिन ने कहा कि इस अभ्यास में प्रमुख अधिकारियों की यह जांच की जाएगी कि वे परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की स्थिति में उनके नियंत्रण को कितनी कुशलता से संभालते हैं। पुतिन ने यह स्पष्ट किया कि रूस किसी हथियारों की दौड़ में शामिल नहीं होना चाहता, लेकिन यह भी कहा कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए रूस को अपनी परमाणु क्षमताओं को तैयार रखना अनिवार्य है।
पुतिन और लावरोव के इन बयानों से साफ होता है कि रूस, पश्चिमी देशों के दबाव के सामने झुकने के बजाय अपनी रक्षा रणनीतियों को और अधिक मजबूत कर रहा है और खुद को वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में स्थापित करना चाहता है।


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