अल-जूलानी के हाथ इराक़ियों के खून से रंगे हैं: अल-आराज़ी
इराक़ के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार क़ासिम अल-आराज़ी ने अल-अहद टीवी चैनल को दिए एक साक्षात्कार में, हयात तहरीर अल-शाम के नेता अबू मुहम्मद अल-जूलानी (अहमद अल-शरआ) को बग़दाद आमंत्रित किए जाने पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि इराक़ी जनता सांप्रदायिक विचारधारा का कड़ा विरोध करती है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि, अल-जूलानी इराकियों के नरसंहार में शामिल रहा है। आराज़ी ने स्पष्ट किया कि इराक़ हमेशा सीरियाई जनता की इच्छा का सम्मान करता है और सीरियाई विद्रोही सरकार के विदेश मंत्री असद अल-शैबानी की बग़दाद यात्रा उनकी व्यक्तिगत अनुरोध पर स्थगित कर दी गई थी।
अल-जूलानी आईएसआईएस का सदस्य था
आराज़ी ने कहा कि अबू मुहम्मद अल-जूलानी आतंकी संगठन आईएसआईएस (दाइश) का सदस्य था और उसके हाथ इराक़ियों के खून से सने हुए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जब वे अमेरिकी सेना द्वारा गिरफ़्तार किए गए थे, उस समय अल-जूलानी भी हिरासत में था।
उन्होंने कहा कि अब तक सीरिया से आतंकवादियों को लेकर इराक़ को कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला है। उन्होंने यह भी बताया कि इराक़ और सीरिया की सीमाएँ पूरी तरह सुरक्षित हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग आवश्यक है।
अल-हश्द अल-शाबी भंग नहीं होगा
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अल-हश्द अल-शाबी (पीएमयू) को भंग नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह इराक़ के राष्ट्रीय हित में है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की ओर से अल-हश्द अल-शाबी को भंग करने को लेकर कोई दबाव नहीं है।
आराज़ी ने कहा कि यह संगठन सिर्फ़ शिया समुदाय से संबंधित नहीं है, बल्कि इसका ढांचा राष्ट्रवादी है। उन्होंने यह भी कहा कि अल-हश्द अल-शाबी की मौजूदगी के कारण इराक़ में कोई सैन्य तख्तापलट नहीं होगा।
इज़रायल की इराक़ को धमकियाँ
आराज़ी ने खुलासा किया कि ग़ाज़ा युद्ध के रुकने से पहले, इराक़ को ज़ायोनी शासन (इज़रायल) से धमकियाँ मिली थीं, लेकिन अमेरिका ने इराक़ पर हमले को रोकने के लिए इज़रायली शासन पर दबाव डाला। उन्होंने कहा कि इराक़ सरकार चाहती है कि, हथियार सिर्फ़ सरकार के नियंत्रण में रहें।
उन्होंने यह भी कहा कि, “हमारा व्हाइट हाउस से संपर्क है,” और ज़ेलेंस्की और ट्रंप की मुलाकात जैसा कोई भी घटनाक्रम इराक़ के साथ नहीं हो सकता। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अमेरिका की नीतियों की ग़लतियों के कारण इराक़ में प्रतिरोध (मुक़ावमत) की भावना पैदा हुई।
पीकेके ने ओजलान की अपील नहीं मानी
आराज़ी ने कहा कि इराक़ में कुर्दिश वर्कर्स पार्टी (पीकेके) की मौजूदगी अवैध है और इसे इराक़ छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि पीकेके इराक़ से निकलता है, तो तुर्की भी अपनी सेनाएँ वापस बुला लेगा। उन्होंने कहा कि पीकेके ने अपने नेता अब्दुल्ला ओजलान की हथियार छोड़ने की अपील को नज़रअंदाज़ कर दिया है।
तुर्की के इराक़ में 100 सैन्य अड्डे
उन्होंने बताया कि इराक़ सरकार ने तुर्की की सेनाओं को अपने देश में घुसने की अनुमति नहीं दी है, लेकिन तुर्की के इराक़ में 100 सैन्य अड्डे हैं। उन्होंने कहा कि तुर्की की मौजूदगी के मुद्दे को ‘गोपनीय कूटनीति’ के ज़रिए हल किया जाएगा और उत्तर इराक़ में तुर्की की व्यापक खुफ़िया गतिविधियों की खबरों को खारिज किया।
आराज़ी ने कहा कि तुर्की बग़दाद और अंकारा में एक संयुक्त सुरक्षा सहयोग केंद्र स्थापित करने का विरोध नहीं करता है। उन्होंने कहा कि 2003 की तुलना में आज इराक़ की स्थिति बेहतर है।
प्रधानमंत्री बनने की इच्छा नहीं
आराज़ी ने कहा कि यदि उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए नामांकित किया जाता है तो वे इसे स्वीकार करेंगे, लेकिन वे इस पद के लिए प्रयास नहीं करेंगे।