ग़ाज़ा में 9 लाख फ़िलिस्तीनी, इज़रायली साज़िश के ख़िलाफ़ डटकर खड़े हैं

ग़ाज़ा में 9 लाख फ़िलिस्तीनी, इज़रायली साज़िश के ख़िलाफ़ डटकर खड़े हैं

इज़रायल ने हाल ही में ग़ाज़ा में बाक़ी बचे घरों को भी बड़े पैमाने पर तबाह करना शुरू कर दिया है, ताकि वहां के लोगों को जबरन पलायन के लिए मजबूर किया जा सके। लेकिन अब भी लाखों लोग इस योजना के सामने डटे हुए हैं।

हमास की ग़ाज़ा सरकार के सूचना दफ़्तर ने शनिवार को बताया कि, जब से जबरन पलायन की नीति शुरू हुई है, करीब 2 लाख 70 हज़ार फ़िलिस्तीनी दक्षिण ग़ाज़ा की ओर जाने को मजबूर हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद 9 लाख से ज़्यादा लोग ग़ाज़ा शहर और उत्तरी ग़ाज़ा में अपने घरों में मौजूद हैं और तमाम ख़तरों और मानवीय मुश्किल और बदतर ख़तरनाक हालात के बावजूद वे पलायन करने से इनकार कर रहे हैं।

दफ़्तर ने यह भी बताया कि अब एक “उल्टा रुख़” देखने को मिल रहा है। यानी 22 हज़ार से ज़्यादा लोग, जो पहले घर छोड़कर जा चुके थे, वे लगातार हमलों के बावजूद अपने घरों की ओर लौट आए हैं। इज़रायल जिन इलाक़ों — रफ़ाह और ख़ान यूनुस के “मवासी” क्षेत्र को झूठ बोलकर  “मानवीय और सुरक्षित” बता रहा है, वे आज क़त्लेआम के मैदान में तब्दील हो चुके हैं।

इज़रायली लड़ाकू विमानों ने इन इलाक़ों पर 110 से ज़्यादा हवाई हमले किए हैं, जिनमें 2 हज़ार से अधिक लोग शहीद हो चुके हैं। साथ ही इन इलाक़ों में न अस्पताल हैं, न पानी, न खाना, न बिजली और न ही कोई पनाहगाह। ऐसे हालात ने वहां की ज़िंदगी को लगभग नामुमकिन बना दिया है।

हमास का कहना है कि जिन इलाक़ों को इज़रायल “पनाहगाह” कहता है, वे ग़ाज़ा पट्टी का केवल 12 फ़ीसदी हिस्सा हैं। जबकि वहां 17 लाख से ज़्यादा लोग ठहरने के लिए मजबूर हैं। ये इलाके असल में “जबरन मजबूरी वाले कैम्प” जैसे हैं।

इज़रायल के बर्बर हमले और फ़िलिस्तीनी रुख़
फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध का कहना है कि इज़रायल का असली मक़सद ग़ाज़ा शहर और उत्तरी ग़ाज़ा को पूरी तरह ख़ाली कराना है। यह एक नस्लकुशी और जबरन पलायन की नीति है, जिसे हम सख़्ती से नकारते हैं। इसके सभी नतीजों की ज़िम्मेदारी इज़रायल, अमेरिका और उन देशों पर होगी जो इन अपराधों में शामिल हैं।

हमास सरकार के दफ़्तर ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों से अपील की है कि, इन अपराधों को तुरंत रोकने के लिए कार्रवाई करें, इज़रायली नेताओं को अंतर्राष्ट्रीय अदालत में सज़ा दिलाएं और फ़िलिस्तीनियों के अधिकारों की रक्षा करें। बता दें कि, ग़ाज़ा में हो रहे जनसंहार पर संयुक्त राष्ट्र ने अब तक कोई कठोर कार्रवाई नहीं की है; वह अधिकतर वक्त दर्शक बनकर बयानों तक सीमित रहा है।

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