12 दिवसीय जंग, ईरानी क़ौम के हौसले और इरादे की शानदार तस्वीर: सुप्रीम लीडर
ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह सैय्यद अली ख़ामेनेई ने आज सुबह न्यायपालिका के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाक़ात में हालिया 12 दिनी जंग को एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय घटना करार दिया। उन्होंने कहा कि यह जंग, महज़ एक हवाई या सैन्य ऑपरेशन नहीं थी, बल्कि यह उस क़ौमी आत्मा, इरादे और आत्मविश्वास की पहचान थी, जो आज ईरानी समाज में गहराई से मौजूद है।
सुप्रीम लीडर ने कहा:
“ईरानी जनता ने इस थोपी हुई जंग में जो कारनामा किया, वह हथियारों से नहीं, हौसले और यक़ीन से जुड़ा था। यह उस इरादे की ताक़त थी, जिसके तहत एक पूरा मुल्क, उसकी सेना और उसकी अवाम इस अहसास के साथ मैदान में आई थी कि, हम अमेरिका जैसी बड़ी ताक़त और उसकी चापलूसी करने वाले इज़रायली शासन से सीना मिलाकर मुक़ाबला कर सकते हैं।”
उन्होंने कहा कि यह आत्म-विश्वास ही सबसे बड़ी जीत है। जब एक क़ौम इस मक़ाम तक पहुँचती है कि वो दुश्मन से न डरती है, बल्कि उसे डराती है, तो असल मायने में यही उसका मनोवैज्ञानिक और सामरिक विजय बिंदु होता है।
सर्वोच्च नेता ने दो बिंदुओं को अहम बताया:
आत्मा और इरादा: उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि असली चीज़ किसी जंगी कार्रवाई से भी बढ़कर वह जज़्बा है जो एक क़ौम को खड़ा करता है। यह वही जज़्बा है जो ईरान की पहचान बन चुका है।
निर्णायक जवाब: साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब ज़रूरत पड़ी, ईरान ने हर उस अमली जवाब को भी अंजाम दिया जो उसके क़ाबू में था।
अंत में उन्होंने कहा कि आज ईरानी जनता एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहाँ वो दुनिया की सबसे बड़ी ताक़त से बेख़ौफ़ होकर सीना तानकर खड़ी हो सकती है – और यही वह चीज़ है, जो किसी क़ौम की सबसे बड़ी ताक़त होती है।
उन्होंने कहा:
देश में हाल ही में जो अपराध हुए हैं, उनके खिलाफ न्यायपालिका द्वारा कानूनी कार्यवाही — चाहे वो देश की अदालतों में हो या अंतरराष्ट्रीय न्यायिक संस्थाओं में — बेहद ज़रूरी और अहम है। हमें पहले के कई मामलों में भी यह क़दम उठाना चाहिए था, लेकिन हमने पिछले वर्षों में इसमें कोताही की। इस बार कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए। अगर इस मामले की कानूनी पैरवी और अंतरराष्ट्रीय या घरेलू अदालतों में इसकी सुनवाई करने में बीस साल भी लग जाएं, तो भी कोई हर्ज नहीं। यह काम पूरी तरह से अंजाम तक पहुँचना चाहिए।
अपराधियों को जवाबदेह बनाना ज़रूरी है। हो सकता है कि कभी-कभी कोई अंतरराष्ट्रीय अदालत किसी बड़ी ताक़त के प्रभाव में हो, और अक्सर ऐसा होता भी है, लेकिन एक दिन ऐसा भी आता है जब वहाँ कोई निष्पक्ष और स्वतंत्र जज मिल जाता है। इसलिए इस मामले को बहुत गंभीरता से लें, पूरी ताक़त और सतर्कता के साथ हर पहलू का ध्यान रखते हुए इसे आगे बढ़ाएँ, इंशा’अल्लाह।


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