बैनेट का बयान, ईरान की आँख में उंगली घुसेड़ने जैसा है

बैनेट का बयान, ईरान की आँख में उंगली घुसेड़ने जैसा है

कई इस्राइली सुरक्षा अधिकारियों ने इस देश के प्रधानमंत्री नफ्ताली बैनेट की ईरान विरोधी टिप्पणी और ईरान के खिलाफ एक नई रणनीति के उपयोग की कड़ी आलोचना की है।

इस्राइली समाचार पत्र येदिओथ अहरोनोथ की वेबसाइट ने इस संबंध में लिखा है कि संसद की विदेश संबंध समिति के सामने नफ्ताली बैनेट की कल की टिप्पणी “ईरान की आंखों में एक उंगली घुसेड़ना, और एक अनावश्यक कार्रवाई है जो ईरान को बदला लेने के लिए प्रेरित करती है, जिसकी कीमत इस्राइली को चुकानी होगी।”

कल इस्राइली प्रधानमंत्री बैनेट ने ईरान पर कई आरोप लगाते हुए इस देश के विरुद्ध नई नीति की बात बोलते हुए कहाः ईरान के विरुद्ध इस्राइल की नीतियों में बदलाव हुआ है, तेहरान ने न्यूक्लियर सवर्धन 60 प्रतिशत करने के साथ ही कई रेड लाइन को पार कर दिया है, और उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। ”

इस्राइल के प्रधान मंत्री ने कहा कि उनका देश हमेशा की तरह तेहरान के मुकाबले में खड़ा है साथ ही उन्होंने आईएईए से मांग करते हुए कहा कि “हम उम्मीद करते हैं कि आईएईए ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम के बारे में स्पष्ट चेतावनी देगा,”

इस्राइल के एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने येदिओथ अहरोनोथ को बताया, “ईरान प्रतिशोध अभियान की योजना बना रहा है और हमें कोई ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे वह इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करे, प्रधान मंत्री का इस प्रकार का बयान अनावश्यक और ईरान को प्रेरित करने वाला है। ”

अमेरिका और इस्राइल का साथ देते हुए पश्चिमी देशों ने हाल के वर्षों में ईरान पर अपने परमाणु कार्यक्रम में सैन्यीयकरण का आरोप लगाया है। ईरान ने इन आरोपों का जोरदार खंडन किया है। तेहरान इस बात पर जोर देता है कि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के एक हस्ताक्षरकर्ता और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के सदस्य के रूप में, उसे शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु प्रौद्योगिकी हासिल करने का अधिकार है।

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के निरीक्षकों ने कई बार ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों का दौरा किया है; लेकिन उन्हें कभी भी इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि देश का शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम सैन्य उद्देश्यों की तरफ जा रहा है।

2015 में, ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर तनाव को हल करने के लिए 5+1 देशों के साथ एक समझौता किया। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की तरफ़ से लगाई गई सभी शर्तों को ईरान ने पूरा किया लेकिन इसके बावजूद अमेरिकी सरकार एकतरफा तौर से समझौते से हट गई।

उल्लेखनीय है कि इस्राइल ऐसे समय पर ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम पर लगातार सवाल उठाता रहता है कि जब वह स्वंय पश्चिम एशियाई क्षेत्र में परमाणु हथियारों का एकमात्र धारक है और, अमेरिकी समर्थन के साथ, अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम को अंतर्राष्ट्रीय नियंत्रण से बाहर रखा है, साथ ही इजरायल ने कभी भी NPT पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

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