यति नरसिंहानंद हिरासत में तो लिया गया, मगर 24 घंटे बाद भी गिरफ़्तार नहीं किया गया
नबी करीम की शान में गुस्ताखी करने वाले बदज़ुबान और विवादित महंत यति नरसिंहानंद को डासना में उसके मंदिर के बाहर हुए ज़ोरदार प्रदर्शन के बाद शनिवार को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। लेकिन 24 घंटे बीतने के बाद भी उसकी गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं की गई है। इस वजह से पुलिस के रवैये और इस मामले में सरकार की चुप्पी पर नाराज़गी जताई जा रही है।
इस बीच, राजनीतिक नेताओं ने भी यति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है, जिनमें भीम आर्मी के प्रमुख और सांसद चंद्रशेखर आज़ाद और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती भी शामिल हैं। गाजियाबाद पुलिस द्वारा शनिवार को यति को हिरासत में लेने के बाद उम्मीद थी कि उसे गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया जाएगा। लेकिन 24 घंटे से ज़्यादा बीतने के बाद भी उसे किसी अदालत में पेश नहीं किया गया, जिससे यह पुष्टि हो गई है कि पुलिस ने उसे नियमित रूप से गिरफ्तार नहीं किया है।
इसके साथ ही, इन अटकलों को बल मिल गया है कि उसे हिरासत में मुस्लिमों के विरोध को देखते हुए उसकी सुरक्षा के लिए लिया गया है। कई मुस्लिम संगठनों के साथ-साथ आरएसएस के मुस्लिम राष्ट्र मंच ने भी यति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। लेकिन सरकार अपनी चुप्पी से यह संकेत देने की कोशिश कर रही है कि कुछ हुआ ही नहीं।
इस बीच जम्मू-कश्मीर की प्रमुख हस्तियों, उलेमा और संगठनों के प्रमुखों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को एक संयुक्त पत्र लिखकर यति नरसिंहानंद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। गृहमंत्री को ध्यान दिलाया गया है कि इस मामले ने न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी करोड़ों मुस्लिमों की भावनाओं को आहत किया है।
पत्र में यति की बदज़ुबानी को अत्यधिक आक्रामक और कष्टदायक बताया गया है और चेतावनी दी गई है कि इससे बड़े पैमाने पर अशांति पैदा हो सकती है। पत्र में यह भी कहा गया है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी का मूल अधिकार नफरत फैलाने और पूरी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का लाइसेंस नहीं हो सकता।