धर्म संसद में नरसंहार की अपील करने वालों पर UAPA क्यों नहीं ?

धर्म संसद में नरसंहार की अपील करने वालों पर UAPA क्यों नहीं ? हरिद्वार में हुई तथाकथित धर्म संसद में हेट स्पीच और मुसलमानों के नरसंहार की अपील पर सत्ताधारी दल की चुप्पी पर नाराजगी जताते हुए वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा है कि आजादी के बाद से यह भारत में दी गई सबसे खराब हेट स्पीच है।

धर्म संसद में दिए गए नफरती भाषण और हेट स्पीच पर वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि इस मुद्दे पर अदालत की खामोशी चौंकाने वाली है। उन्होंने कहा कि को यह समझ से परे है कि पुलिस इस मुद्दे पर किस प्रकार काम कर रही है। मेरे अनुसार आजाद भारत के इतिहास में यह सबसे खराब हेट स्पीच है।

कार्यपालिका की खामोशी और उत्तराखंड पुलिस के डीजीपी का यह कहना कि उन्होंने लोगों को सिर्फ बुक किया है यह बेहद चौंकाने वाला है। याद रहे कि सुप्रीम कोर्ट की चुप्पी पर देशभर के 76 वरिष्ठ वकीलों ने एक पत्र लिखते हुए सुप्रीम कोर्ट से इस मामले पर संज्ञान लेने की अपील की है। जिसमें दुष्यंत दवे भी शामिल हैं।

चीफ जस्टिस को लिखे इस पत्र में वकीलों ने कहा है कि दिल्ली में हिंदू युवा वाहिनी और हरिद्वार में डासना के नरसिंहानंद द्वारा आयोजित अलग-अलग कार्यक्रम में नफरत भरे भाषणों और मुसलमानों के नरसंहार का खुला आह्वान किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए दवे ने कहा कि आप 2002 या 1984 की तरह बार-बार दंगे नहीं करा सकते।

राजनीतिक दल ऐसे संगठनों द्वारा इस तरह के खराब व्यवहार में शामिल हैं जो उन्हें बाहर से समर्थन दे रहे हैं और यही कारण है कि अब तक प्रधानमंत्री ने ना इसकी निंदा की है ना ही कोई बयान दिया है। कानून कहां गायब है ? इस मामले पर अभी तक किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया है। गृह मंत्री भी इस बारे में एक शब्द नहीं बोले हैं। दुष्यंत दवे ने कहा कि देश में बहुसंख्यको के लिए अलग और अल्पसंख्यकों एवं सिविल सोसाइटी के लिए अलग है। अफसोस की बात है कि न्यायपालिका भी कड़े शब्दों या आदेशों के साथ इसकी निंदा नहीं कर रही है।

दुष्यंत दवे ने नाराजगी जताते हुए कहा कि आपने किसी एक कमेंट के लिए स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी को गिरफ्तार कर लिया। आपने बड़ी संख्या में लोगों को बंदी बनाया है। नरेंद्र मोदी के खिलाफ सिर्फ ट्वीट करने वालों को भी कुछ समय में गिरफ्तार कर लिया गया।

लेकिन महात्मा गांधी पर आपत्तिजनक बयान दिए जा रहे हैं। नाथूराम गोडसे की तारीफ की जा रही है। चर्चों पर हमले हो रहे हैं। क्रिसमस कार्यक्रम को बाधित किया जा रहा है फिर भी चारों ओर हो रहे इस अवैध और असंवैधानिक बर्ताव पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है प्रधानमंत्री महोदय यदि नरसिंहानंद को क्यों बर्दाश्त कर रहे हैं?

ऐसे बहुत से उदाहरण है जहां न केवल आईपीसी के प्रावधान बल्कि यूएपीए के प्रावधान भी समान रूप से लागू होंगे। इन सभी लोगों को कानून के अधीन लाना चाहिए अगर आप इन्हें आज नहीं रोकेंगे तो आप कभी नहीं रोक पाएंगे।

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