भारत के बड़े मांस निर्यातक हिन्दू क्यों?: पवन खेड़ा
कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों को उनके मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के लिए कहने के बाद विवाद बढ़ता जा रहा है। मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक सिंह ने इसकी पुष्टि मीडिया से करते हुए कहा- “कांवड़ यात्रा की तैयारी शुरू हो गई है। हमारे अधिकार क्षेत्र में, जो लगभग 240 किमी है, सभी भोजनालयों – होटल, ढाबा, ठेले (सड़क के किनारे) वाले दुकानदारों को अपने मालिकों या दुकान चलाने वालों के नाम प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया है।
कांग्रेस पार्टी ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सवाल उठाया- भारत के बड़े मीट एक्सपोर्टर हिंदू हैं। क्या हिंदुओं द्वारा बेचा गया मीट दाल भात बन जाता है? ठीक वैसे ही क्या किसी अल्ताफ़ या रशीद द्वारा बेचे गए आम अमरूद गोश्त तो नहीं बन जाएँगे।
पवन खेड़ा ने कहा कि जो लोग यह तय करना चाहते थे कि कौन क्या खाएगा, अब वो यह भी तय करेंगे कि कौन किस से क्या ख़रीदेगा? जब इस बात का विरोध किया गया तो कहते हैं कि जब ढाबों के बोर्ड पर हलाल लिखा जाता है तब तो आप विरोध नहीं करते। इसका जवाब यह है कि जब किसी होटल के बोर्ड पर शुद्ध शाकाहारी भी लिखा होता है तब भी हम होटल के मालिक, रसोइये, वेटर का नाम नहीं पूछते।
किसी रेहड़ी या ढाबे पर शुद्ध शाकाहारी, झटका, हलाल या कोशर लिखा होने से खाने वाले को अपनी पसंद का भोजन चुनने में सहायता मिलती है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा- कांवड़ यात्रा के रूट पर फल सब्ज़ी विक्रेताओं व रेस्टोरेंट ढाबा मालिकों को बोर्ड पर अपना नाम लिखना आवश्यक होगा। यह मुसलमानों के आर्थिक बॉयकॉट की दिशा में उठाया कदम है या दलितों के आर्थिक बॉयकॉट का, या दोनों का, हमें नहीं मालूम।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस मुद्दे पर फिर से बयान दिया है। ओवैसी ने कहा- “हम इसकी निंदा करते हैं क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 17 का उल्लंघन है, जो छुआछूत के बारे में बात करता है। तो उत्तर प्रदेश सरकार छुआछूत को बढ़ावा दे रही है…दूसरी बात, जब से उत्तर प्रदेश सरकार ने आदेश दिया है, मुज़फ्फरनगर में सभी दुकानों से मुस्लिम कर्मचारियों को हटा दिया गया है…क्या आप केवल एक समुदाय के लिए काम करेंगे? संविधान कहां है? मैं योगी आदित्यनाथ को चुनौती देता हूं कि अगर उनमें साहस है तो वे लिखित आदेश जारी करें…।”