किसानों की समस्याओं पर, हम मूकदर्शक नहीं बने रहेंगे: शरद पवार
एनसीपी के संस्थापक शरद पवार ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि, अगर किसानों की समस्याओं को तुरंत हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो वे चुपचाप तमाशबीन बने नहीं रहेंगे, बल्कि आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। सोमवार को शरद पवार ने एनसीपी की ओर से प्याज़ किसानों के समर्थन में निकाले गए ‘जन आक्रोश मोर्चा’ में हिस्सा लिया और कार्यकर्ताओं व स्थानीय किसानों को संबोधित किया।
घोषणा के अनुसार रविवार को नासिक में एनसीपी (शरद) की बैठक आयोजित हुई, जिसमें शरद पवार ने भाषण दिया। इसके बाद सोमवार को एनसीपी कार्यकर्ताओं ने किसानों के समर्थन में ‘जन आक्रोश मोर्चा’ निकाला जिसकी अगुवाई स्वयं शरद पवार ने की। इस अवसर पर भाषण देते हुए उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को निशाने पर लिया।
पवार ने कहा, ‘‘दीवा भाऊ (फडणवीस का उपनाम) को चाहिए कि वे भारत के आसपास घट रही घटनाओं पर भी ध्यान दें। नेपाल में पिछले 8 दिनों में क्या हुआ? नेता चले गए, एक बहन को लाया गया और सत्ता उनके हाथ में सौंप दी गई। और क्या-क्या हुआ, मैं उसकी गहराई में नहीं जाना चाहता लेकिन उम्मीद करता हूं कि दीवा भाऊ और उनके सहयोगी होश में आएंगे।’’
नासिक के किसानों का ज़िक्र करते हुए शरद पवार ने कहा, ‘‘नासिक की प्याज़ पूरी दुनिया में जाती है। किसानों को उम्मीद होती है कि उनकी प्याज़ बिकेगी तो उन्हें कुछ पैसे मिलेंगे। लेकिन आज प्याज़ को उचित दाम नहीं मिल रहे हैं। अगर आप निर्यात शुरू करें तो दाम बढ़ेंगे, लेकिन सरकार प्याज़ का निर्यात नहीं कर रही है।’’
वरिष्ठ नेता ने मुख्यमंत्री फडणवीस के छत्रपति शिवाजी वाले पोस्टरों पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘दीवा भाऊ! आपने पूरे महाराष्ट्र में अपने पोस्टर लगाए हैं, जिनमें आप खुद को छत्रपति शिवाजी का दर्शन करते हुए दिखा रहे हैं, लेकिन किसानों की ओर देखने के लिए आप तैयार नहीं हैं। केवल पोस्टर लगाने से कुछ नहीं होगा, आपको छत्रपति शिवाजी के चरित्र को अपनाना होगा और उनकी नीतियों को लागू करना होगा।’’
चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके शरद पवार ने कहा, ‘‘सरकार किसानों की ओर देखने को तैयार नहीं है। अगर यही स्थिति रही तो हम चुपचाप तमाशबीन बने नहीं रह पाएंगे। हमें सड़कों पर उतरना पड़ेगा।’’ बारिश का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘इस बार राज्य के लगभग सभी जिलों में भारी बारिश हुई है। मुसीबतें आती हैं, लेकिन जनता को इन मुसीबतों से बाहर निकालने के लिए रास्ते खोजने पड़ते हैं। यह ज़िम्मेदारी राज्य और केंद्र सरकार की होती है। लेकिन आज हम देखते हैं कि सरकार के पास किसानों की ओर देखने का समय ही नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में सिर्फ दो महीनों के भीतर दो हज़ार किसान आत्महत्या कर चुके हैं। आखिर किसान आत्महत्या क्यों करते हैं? वे इतना बड़ा कदम उठाने को मजबूर क्यों होते हैं? इसका कारण साफ है – सरकार कठिन समय में किसानों के लिए कोई रास्ता निकालने में नाकाम रही है।’’ पवार ने कहा कि आंदोलन के लिए नासिक को इसलिए चुना गया क्योंकि यह गांधी और नेहरू के विचारों वाला ज़िला है।


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