हम न तो किसी को काटेंगे और न काटने देंगे: उद्धव ठाकरे
महाराष्ट्र की राजनीति में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नारा ‘बटेंगे तो कटेंगे’ इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। बीजेपी ने इसे अपनी चुनावी मुहिम का हिस्सा बनाते हुए महाराष्ट्र में प्रचार का अहम नारा बनाया है। हाल ही में नागपुर में आयोजित एक रैली में योगी आदित्यनाथ ने इस नारे को दोहराया, जिससे महाविकास अघाड़ी और एनसीपी के नेताओं में असंतोष की लहर दौड़ गई। बीजेपी की सहयोगी पार्टी एनसीपी के प्रमुख, अजित पवार ने इस नारे को आपत्तिजनक करार देते हुए इस पर अपनी असहमति जाहिर की है।
महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी में शामिल नेता और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी योगी आदित्यनाथ और बीजेपी पर तीखा हमला बोला। ठाकरे ने कहा, “एक तरफ योगी आदित्यनाथ ‘बटेंगे तो कटेंगे’ का नारा लगाते हैं, वहीं दूसरी तरफ उनके ही सहयोगी अजित पवार इस नारे का विरोध कर रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि महायुति के अंदर ही गहरे मतभेद हैं।” उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि “हमें योगी आदित्यनाथ से एकता का पाठ सीखने की जरूरत नहीं है।”
उद्धव ठाकरे ने अपने बयान में जोर देकर कहा कि महाराष्ट्र में किसी भी तरह की नफरत की राजनीति को जगह नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा, “हम न तो किसी को काटेंगे और न काटने देंगे।” साथ ही उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, “हम महाराष्ट्र को लूटने भी नहीं देंगे।” उनका यह बयान दर्शाता है कि महाविकास अघाड़ी का मकसद राज्य में शांति और समरसता बनाए रखना है।
‘बटेंगे तो कटेंगे’ के जवाब में कांग्रेस का ‘जोड़ेगे और जीतेंगे’ का नारा
बीजेपी द्वारा दिए गए नारे ‘बटेंगे तो कटेंगे’ के जवाब में कांग्रेस ने ‘जोड़ेगे और जीतेंगे’ का नारा दिया है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एक दिन पहले नागपुर आए थे, जहां उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि बीजेपी सिर्फ देश का माहौल खराब करना चाहती है। वह लोगों को धर्म के नाम पर बांटकर वोट हासिल करना चाहती है, लेकिन अब हम इसका जवाब ‘जोड़ेगे और जीतेंगे’ से देना चाहते हैं।
गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ के इस नारे को, जो दरअसल उत्तर प्रदेश के हिंदुओं को धर्म के आधार पर एकजुट करने के लिए दिया गया था, महाराष्ट्र में बीजेपी के कई बड़े नेता अपनी पार्टी की टैगलाइन के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में बीजेपी का हिंदू-मुस्लिम कार्ड ज़्यादा काम नहीं कर पाया और उसे महाराष्ट्र में हार का सामना करना पड़ा। अब बीजेपी नेता सीधे सांप्रदायिक बयान देने से बच रहे हैं, लेकिन ओबीसी और मराठा समाज को ‘हिंदू’ के आधार पर एकजुट करने के लिए यह नारा दिया जा रहा है कि ‘बटेंगे तो कटेंगे।’