‘मतदाता ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं, हिंसा प्रभावित मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगे: शशि थरूर
मणिपुर में 3 मई को भड़की हिंसा के मद्देनजर भाजपा पर हमला करते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। थरूर ने कहा कि ‘राज्य सरकार उस काम में विफल हो गयी है जिसके लिए वह चुनी गयी थी. राज्य सरकार क़ानून व्यवस्था में असफल है।
थरूर ने दावा किया कि हिंसा के प्रकोप के मद्देनजर मणिपुर के मतदाता भाजपा को सत्ता में वापस लाने के कुछ माह बाद ही अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. उन्हें लगता है कि उनके साथ घोर विश्वासघात हुआ है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने मणिपुर में आदिवासियों और प्रमुख मेइती समुदाय के सदस्यों के बीच संघर्ष को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए पूर्वोत्तर राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग की है।
3 मई को इम्फाल घाटी स्थित मैतेई और पहाड़ी स्थित काकी समुदाय के बीच झड़पें हुईं, जिसमें सशस्त्र भीड़ ने गांवों पर हमला किया, घरों में आग लगा दी और दुकानों में तोड़फोड़ की। इसने सरकार को मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने और हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में निषेधाज्ञा लागू करने के लिए प्रेरित किया।
शशि थरूर ने ट्विटर पर लिखा, “जैसा कि मणिपुर में हिंसा जारी है, सभी सही सोच वाले भारतीयों को खुद से पूछना चाहिए कि जिस सुशासन का वादा किया गया था, उसका क्या हुआ।“मणिपुर के मतदाता अपने राज्य में भाजपा को सत्ता में लाने के एक साल बाद घोर विश्वासघात महसूस कर रहे हैं। यह राष्ट्रपति शासन का समय है; राज्य सरकार उस काम के लिए तैयार नहीं है जिसके लिए उन्हें चुना गया था।
मणिपुर क्यों जल रहा है?
मणिपुर उच्च न्यायालय ने 20 अप्रैल को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने के अनुरोध पर चार सप्ताह के भीतर विचार करे। कोर्ट ने कहा कि सिफारिश को केंद्र के पास विचार के लिए भेजा जाए।
एक अधिसूचना के अनुसार, हिंसा प्रभावित मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में लोगों को अपने घरों के बाहर किसी भी व्यक्ति की आवाजाही पर रोक लगाने वाले कुल कर्फ्यू में रविवार सुबह तीन घंटे की ढील दी जाएगी, ताकि लोग दवा और भोजन जैसी आवश्यक वस्तुएं खरीद सकें। सीआरपीसी की धारा 144 के तहत लगाए गए कर्फ्यू में सुबह सात बजे से सुबह 10 बजे तक ढील दी जाएगी।