यूपी:प्रयागराज में बिना पूर्व सूचना के मस्जिद गिराए जाने से मुस्लिम समुदाय नाराज़
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के शहर प्रयागराज में एक बेहद दुखद घटना घटी, जिसमें रेलवे कॉलोनी के पास स्थित एक मस्जिद को बिना किसी पूर्व सूचना के स्थानीय प्रशासन द्वारा तोड़ दिया गया। यह मस्जिद प्रयागराज रेलवे स्टेशन से लगभग 150 मीटर की दूरी पर थी। मस्जिद को गिराए जाने की यह घटना न केवल स्थानीय समुदाय के लिए बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई है। मस्जिद के बिना किसी पूर्व सूचना के ध्वस्त किए जाने ने प्रशासनिक प्रक्रियाओं और कानूनी प्रक्रिया की अवहेलना को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
स्थानीय प्रशासन की ओर से अब तक इस कार्रवाई का कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है, जिससे घटना की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। मस्जिद के आसपास के इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि मस्जिद लंबे समय से वहां मौजूद थी और इसे ध्वस्त करने का कोई ठोस कारण भी प्रशासन की ओर से नहीं बताया गया।
मस्जिद के भीतर पवित्र क़ुरआन के साथ की गई बेअदबी ने लोगों की भावनाओं को और भी आहत किया है। कई मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इसे सीधे तौर पर धार्मिक भावनाओं पर आघात माना है। धार्मिक संगठनों और नेताओं ने इस घटना की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन है।
घटना के तुरंत बाद स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने एकजुट होकर इस मसले पर प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। कई प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने इस घटना के विरोध में उत्तर प्रदेश सरकार को एक ज्ञापन सौंपने की योजना बनाई है। उनका कहना है कि अगर जल्द ही इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती, तो वे राज्य भर में विरोध प्रदर्शनों का आह्वान करेंगे।
घटना के बाद शहर में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया है और पुलिस ने किसी भी प्रकार की हिंसा को रोकने के लिए ऐहतियातन बल तैनात कर दिया है। कई राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है। विपक्षी दलों ने इसे सरकार की नीतियों और प्रशासनिक असंवेदनशीलता का परिणाम बताया है, जबकि सत्ताधारी दल ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई है। कई लोग इस घटना की निंदा कर रहे हैं और इसे धार्मिक अधिकारों का हनन बता रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसे प्रशासनिक कार्रवाई का हिस्सा मानते हैं। फिलहाल, इस मामले में राज्य सरकार की ओर से किसी उच्च स्तरीय जांच के आदेश की प्रतीक्षा की जा रही है। मुस्लिम समुदाय न्याय की मांग कर रहा है और पूरे क्षेत्र में भारी तनाव की स्थिति बनी हुई है।