जेपीसी जांच से ही सामने आ सकता है अडानी घोटाले का सच: कांग्रेस
नई दिल्ली: कांग्रेस ने शुक्रवार को एक बार फिर दोहराया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति गौतम अडानी की नज़दीकी के कारण अडानी घोटाला हुआ। वहीं, कांग्रेस ने कहा कि इस घोटाले में जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) के अलावा कोई जांच कारगर नहीं होगी। जेपीसी की जांच से ही इस घोटाले की सच्चाई का पता चलेगा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि पार्टी पहले से ही मानती है कि सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति और सेबी की जांच का दायरा सीमित है और केवल जेपीसी ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के
के साथ घनिष्ठ संबंधों की जांच कर सकती है। उन्होंने कहा कि जांच से यह भी पता लगाया जा सकता है कि कैसे मोदी ने अपने करीबी दोस्तों की मदद के लिए कानूनों, नियमों और विनियमों को बदलकर देश या विदेश में अडानी समूह के कारोबार को निजी तौर पर बढ़ावा दिया है।
उन्होंने कहा कि यह एक महाघोटाला है और जेपीसी जांच से ही इसके सभी पहलू सामने आ सकते हैं। जयराम रमेश ने कहा कि अडानी महाघोटाले पर सेबी के नजरिये पर सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति ने नरम लेकिन आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया है।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सेबी की ओर से कोई नियामक विफलता नहीं हुई है, हालांकि जांच में कई नियामक विफलताओं का उल्लेख किया गया है। इनमें नियमों में बदलाव शामिल है, जिससे गैर-पारदर्शी विदेशी फंडों को अडानी की कंपनियों में बड़ी मात्रा में निवेश करने की अनुमति मिल गई।
सेबी बोर्ड की 28 जून की बैठक के बाद सख्त रिपोर्टिंग मानदंडों को फिर से लागू करना नियामक संस्था द्वारा गलत काम करने की सार्वजनिक स्वीकारोक्ति को दर्शाता है। कांग्रेस नेता ने कहा कि सेबी के निदेशक मंडल ने स्वीकार किया है कि उसे न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता आवश्यकता जैसे मानदंडों के उल्लंघन को रोकने के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है, और अदानी समूह पर ठीक यही आरोप लगाया गया है।
जय राम रमेश का कहना है कि पार्टी ने इस संबंध में सरकार से 100 सवाल पूछे, लेकिन इन सवालों का कोई जवाब नहीं मिला। अब पार्टी 14 अगस्त को आने वाली सेबी की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। हम महत्वपूर्ण सवालों पर स्पष्टीकरण की उम्मीद करते हैं और जानना चाहते हैं कि अडानी की कंपनियों में 20,000 करोड़ रुपये कहां से आये।