मस्जिद में महिलाओं के नमाज़ पढ़ने पर कोई पाबंदी नहीं: मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड
गुरुवार को मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अगर महिलाएं मस्जिद में जाकर नमाज़ पढ़ना चाहती हैं तो मस्जिद में महिलाओं के नमाज़ पढ़ने पर कोई पाबन्दी नहीं है, वह नमाज़ पढ़ सकती हैं। साथ ही साथ मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड ने यह भी कहा कि महिलाएं मस्जिद में पुरुषों के साथ नहीं बैठ सकतीं और न ही उनके साथ खड़े होकर नमाज़ पढ़ सकती हैं, अगर मस्जिद कमेटी उनके लिए मस्जिद में अलग जगह का बंदोबस्त करती है तो महिलाओं के मस्जिद में नमाज़ पढ़ने पर कोई आपत्ति नहीं है।
बोर्ड ने यह जवाब मुस्लिम महिला और एडवोकेट फरहा हुसैन शेख की याचिका पर दिया। बता दें कि पुणे की वकील फरहा हुसैन शेख और एक अन्य महिला ने साल 2020 सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई थी। याचिका में मांग की गई थी महिलाओं को भी मस्जिद में नमाज पढ़ने की इजाजत मिलनी चाहिए। लेकिन इस्लाम के पवित्र ग्रंथ कुरान में इसका कही जिक्र नहीं है। इसलिए महिलाएं मस्जिद में नहीं जा सकती।
बोर्ड ने अपने हलफनामे में कहा कि मुस्लिम महिलाओं को 5 वक्त की नमाज पढ़ने की बाध्यता नहीं है। महिला नमाज घर में पढ़े या मस्जिद में, उसे एक सा जवाब मिलेगा। ये पुरुषों के लिए ऐसा नहीं है, उनके लिए मस्जिद में ही नमाज पढ़ने का नियम है। बोर्ड ने आगे कहा कि वह विशेषज्ञों की संस्था है। लेकिन वह किसी धार्मिक मान्यता पर कमेंट नहीं करना चाहता है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि सुप्रीम कोर्ट फ़रहा हुसैन शैख़ की याचिका पर क्या फ़ैसला लेता है लेकिन यह भी सत्य है कि भारत में महिलाओं ने कभी भी मस्जिद में नमाज़ पढ़ने की मांग नहीं की है,यह कुछ ख़ास लोगों की मांग हो सकती है, अक्सर महिलाओं की नहीं! क्योंकि अक्सर महिलाएं आज भी घर में नमाज़ पढ़ने को अहमियत देती हैं और पूरी श्रद्धा के साथ नमाज़ पढ़ती हैं।