सरकार की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का अंतर: खड़गे

सरकार की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का अंतर: खड़गे

नयी दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संसद में मणिपुर पर चर्चा के लिए विपक्षी दलों को आमंत्रित करने वाले गृह मंत्री अमित शाह के पत्र का जवाब देते हुए सरकार पर आरोप लगाया है कि उनकी कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने पत्र में कहा, ”आपके पत्र में व्यक्त भावनात्मक शब्दों में जमीन-आसमान का अंतर है। आपके पत्र की भावना के विपरीत सदन में सरकार का रवैया असंवेदनशील एवं मनमाना रहा है। यह व्यवहार पिछले कई सीजन में भी देखा गया है। नियम-कायदों की धज्जियां उड़ाकर विपक्ष पर चाबुक चलाया जा रहा है।

छोटी-छोटी बातों को बढ़ा कर पहाड़ बना दिया जाता है, और सदस्यों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया जाता है, जबकि नियम यह है कि एक घटना के लिए किसी सदस्य का निलंबन एक से अधिक सत्र तक नहीं बढ़ाया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ”विपक्षी सदस्य इस मुद्दे पर नियम 267 के तहत रोजाना बहस का नोटिस देते हैं, लेकिन सत्ता पक्ष में बैठे लोग ही सदन की कार्यवाही में बाधा डालते हैं। जब विपक्ष के नेता सभापति की अनुमति के बाद बोलने के लिए खड़े होते हैं, तो सदन के नेता सभापति के अनुरोध और अनुमति के बिना ही बीच में ही बोल देते हैं, जो सभापति और सदन की परंपरा का अपमान है। यह पूरे सदन के सामने और लगातार हो रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सदन में आकर इस मुद्दे पर जवाब देने का आग्रह करते हुए, कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा, “हम प्रधान मंत्री से सदन में आने और बयान देने का अनुरोध कर रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि वह ऐसा नहीं करेंगे।” इस देश के लोगों से हमारा वादा है कि हम कोई भी कीमत चुकाएंगे।

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