राहुल के खिलाफ अभियान पर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री चुप्पी साधे हुए हैं: प्रियंका गांधी

राहुल के खिलाफ अभियान पर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री चुप्पी साधे हुए हैं: प्रियंका गांधी

नई दिल्ली: कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बुधवार को विपक्ष के प्रमुख नेता राहुल गांधी के खिलाफ लगातार हो रहे विवादास्पद और आक्रामक बयानों पर कड़ा विरोध जताया। उन्होंने इसे एक “संगठित और योजनाबद्ध” अभियान करार दिया और सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर आरोप लगाया कि वे इस हिंसक और विभाजनकारी बयानबाजी को प्रोत्साहित कर रहे हैं।

प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में लिखा कि राहुल गांधी, जो एक जिम्मेदार विपक्षी नेता के तौर पर देश के दलित, पिछड़े वर्गों, आदिवासी और गरीब जनता की आवाज को बुलंद कर रहे हैं, उनके खिलाफ लगातार मौखिक और वैचारिक हिंसा बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को धमकियां दी जा रही हैं और इन बयानों में उनकी हत्या तक की बात की जा रही है, जो बेहद खतरनाक स्थिति पैदा कर रही है।

प्रियंका ने पूछा कि क्या देश के करोड़ों दलितों, पिछड़े वर्गों और वंचित समुदायों की आवाज इतनी ताकतवर हो गई है कि सत्ताधारी पार्टी उनके नेता को धमकी देने पर उतर आई है? उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस हद तक जा पहुंची है कि वह राहुल गांधी की हत्या की धमकियां देने लगी है, ठीक वैसे ही जैसे उनकी दादी इंदिरा गांधी की हत्या की गई थी।

प्रियंका गांधी ने कहा कि यह कोई संयोग नहीं है, बल्कि एक पूरी तरह से योजनाबद्ध अभियान है, जो देश के लोकतांत्रिक मूल्यों को खतरे में डाल रहा है। उन्होंने चेताया कि इस तरह की हिंसक और विभाजनकारी बयानबाजी न केवल समाज को बांट रही है, बल्कि भारतीय राजनीति के स्तर को भी नीचे गिरा रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह अभियान एक बड़े खतरनाक षड्यंत्र का हिस्सा है, जिसे सत्ताधारी पार्टी और उसके नेताओं द्वारा अनदेखा किया जा रहा है।

प्रियंका ने सवाल उठाया कि आखिर क्यों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह इस मुद्दे पर चुप हैं और कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की बयानबाजी से न केवल राहुल गांधी बल्कि पूरे विपक्ष को निशाना बनाया जा रहा है, और यह भारत के लोकतंत्र के लिए बेहद चिंताजनक स्थिति है।

कांग्रेस पार्टी ने इन बयानों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए सत्ताधारी दल से जवाब मांगा है और इस मुद्दे पर संसद में भी चर्चा की मांग की है।

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