देश कोरोना से बेहाल, कांग्रेस ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

विश्व समुदाय कोरोना की महामारी का सामना कर रहा लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने देश को हिला कर रखा दिया है। देशभर में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। शनिवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद पार्टी ने कोरोना को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला।

कांग्रेस ने कहा कि भारत में कोविड-19 का पहला मामला 30-01-2020 को सामने आया था। भारत में कोविड का पहला टीका 16-01-2021 को लगाया गया था। इन दो तारीखों के बीच और उसके पश्चात, त्रासदी, अक्षमता और भारी कुप्रबंधन की एक बड़ी कहानी है।

कांग्रेस ने कहा कि अभी देश में कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या 1,45,26,609 है और कुल मृतकों की संख्या 1,75,673 है। अगर हम मान भी लें कि भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश हैं तो भी आज हम दुनिया के संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित देशों में से एक हैं। केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कांग्रेस ने कहा कि पहले दिन से ही केंद्र सरकार ने महामारी के नियत्रंण से संबंधित सभी शक्तियां और अधिकार अपने हाथों में ले लिया।

महामारी अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत केंद्र सरकार का हर आदेश और निर्देश कानून बन गया और राज्य सरकारों के पास राज्य-विशिष्ठ रणनीतियों और प्रशासनिक उपायों को अपनाने तथा लागू करने का कोई अधिकार या स्वतंत्रता नहीं रही। कांग्रेस पार्टी ने कहा कि हम केंद्र सरकार पर महामारी के खिलाफ लड़ाई में विशाल कुप्रबंधन और गंभीर गलतियां का आरोप लगाते हैं। साथ ही पार्टी ने केंद्र सरकार पर 14 आरोप भी लगाए।

 

1. केंद्र सरकार इस संबंध में पर्याप्त जन जागरूकता पैदा करने में असफल रही कि महामारी का घटता हुआ प्रकोप महामारी की दूसरी लहर का सूचक हो सकता है, जो कि पहली लहर की तुलना में अधिक विनाशकारी हो सकता है।

2. पर्याप्त धन और अन्य रियायतें प्रदान करके भारत में दो स्वीकृत टीकों के उत्पादन और आपूर्ति में तेजी से बढ़ोतरी करने में विफलता।

3. भारत में अन्य फार्मा विनिर्माण सुविधाओं में दो स्वीकृत टीकों के अनिवार्य लाइसेंसिंग और उत्पादन का विकल्प अपनाने में विफलता।

4. पहले चरण में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और फ्रंट लाइन श्रमिकों के टीकाकरण के बाद सार्वभौमिक टीकाकरण लागू करने में विफलता।

5. टीकाकरण कार्यक्रम पर पूर्व पंजीकरण और नौकरशाही नियंत्रण से छुटकारा दिलाने में विफलता।

6. टीकाकरण का क्रियान्वयन राज्य सरकारों और सरकारी तथा निजी अस्पतालों को सौंपने में विफलता।

7. टीके की डोज की बर्बादी को रोकने या कम करने में विफलता, जो आज 23 लाख से भी अधिक डोज तक पहुंच चुकी है।

8. संक्रमित व्यक्तियों और उनके संपर्कों के टैस्टिंग, ट्रैकिंग और ट्रेसिंग के परिमाण और गति को बनाए रखने में विफलता।

9. आत्मनिर्भरता की अव्यावहारिक जोश के कारण अन्य ऐसे टीकों के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी देने में विफलता, जिन्हें यूएस, यूके, यूरोपीय संघ और जापान में मंजूरी मिल गई थी।

10. टीकों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए अन्य देशों में निर्मित अन्य अनुमोदित टीकों के आयात की अनुमति देने में विफलता।

11. विभिन्न राज्यों को वैक्सीन खुराक की आवश्कता अनुसार उचित और न्यायसंगत आवंटन दिलवाने में विफलता. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि विपक्षी राजनीतिक दलों के शासित कई राज्यों को उनकी आवश्यकता के बावजूद उनके उचित हिस्से से कम वैक्सीन की मात्रा मिली।

12. अन्य देशों को वैक्सीन की बड़ी मात्रा के निर्यात पर अंकुश लगाने में विफलता, जबकि छोटे और विकासशील देशों को ही कुछ मात्रा में टीके दिए जाने चाहिए थे, लेकिन अमीर देशों को निर्यात करने का उत्साह अनुचित था।

13. अपारदर्शी पीएम-केयर फंड में सैकड़ों करोड़ रुपए जमा होने के बावजूद राज्य सरकारों को पर्याप्त धन मुहैया कराने में असफलता, जो दो मोर्चों पर युद्ध लड़ रहे थे – एक महामारी के खिलाफ और दूसरा आर्थिक मंदी के खिलाफ।

14. बयानबाजी से बचने में विफलता – (प्रधानमंत्री ने दावा किया था कि महाभारत के युद्ध की तुलना में, जो 18 दिनों में जीता गया था, हम कोविड के खिलाफ युद्ध 21 दिनों में जीतेंगे) और आत्मस्तुतिगान (मंत्रियों की ओर से दावा किया गया कि सारा विश्व प्रधानमंत्री के महामारी से निपटने के तरीकों की प्रशंसा कर रहा है)।

कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर हल्ला बोलते हुए कहा कि ये शर्म की बात है कि दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माण क्षमता वाले देश को ही आज विश्व में सबसे अधिक कोरोना प्रभावित देशों में से एक होने का अपमान झेलना पड़ रहा है।

बहुत दुख के साथ कहना पड़ता है कि देश के समक्ष सबसे गंभीर आपदा से निपटने में एनडीए सरकार की विचारहीनता और बिना तैयारी की वजह से देश बहुत भारी कीमत चुका रहा है, जिसकी वजह से लाखों परिवार प्रभावित हुए हैं और 1,75,673 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।

लोगों को समझना होगा कि जब तक तत्काल सुधारात्मक उपाय नहीं किए जाएंगे, राष्ट्र को एक अभूतपूर्व विनाश का सामना करते रहना पड़ेगा,आशा करते हैं कि सरकार विवेक और सद्बुद्धि से काम लेगी।

 

 

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