केंद्र सरकार ने ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 को वापस लेने का फैसला किया

केंद्र सरकार ने ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 को वापस लेने का फैसला किया

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 को वापस लेने का फैसला किया है। सरकार का कहना है कि अब नए मसौदे को व्यापक विचार-विमर्श के बाद पेश किया जाएगा। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने पिछले साल नवंबर में नए ब्रॉडकास्टिंग रेगुलेशन बिल का मसौदा तैयार किया था। इस बिल का विपक्ष और मीडिया से जुड़े लोग जोरदार विरोध कर रहे थे।

केंद्र सरकार के इस प्रस्तावित प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक को यू-ट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन जैसे ऑनलाइन माध्यमों को नियमित करने वाला बताया जा रहा था। विरोधी इस अधिनियम को वैकल्पिक मीडिया को गला घोंटने वाला क़रार दे रहे थे। इसी वजह से इस विधेयक के मसौदे में प्रस्तावित प्रावधानों को लेकर विरोध किया जा रहा था।

हाल ही में संपन्न हुए संसद के बजट सत्र में वक्फ़ संशोधन विधेयक को जेपीसी में भेजकर पीछे हटने का संकेत देने वाली सरकार अब प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2024 के ताज़ा मसौदे को वापस ले लिया है। एचटी ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि इस मामले से जुड़े कम से कम पाँच लोगों ने बताया है कि उनको दी गई मसौदे की कॉपियों को वापस मांग लिया गया है।

बता दें कि, इस साल जुलाई में ब्रॉडकास्ट बिल के दूसरे मसौदे को तैयार किया गया था। इससे पहले इस बिल के मसौदे पर सार्वजनिक टिप्पणी देने की अंतिम तारीख 15 जनवरी 2024 रखी गई थी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद के मौजूदा सत्र में इस बिल के मसौदे को पेश किया था। डिजिटल समाचार पब्लिशर्स और व्यक्तिगत कंटेंट क्रिएटर्स इस बिल का विरोध कर रहे थे।

मोदी सरकार द्वारा पेश किए जा रहे ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज रेगुलेशन बिल के कई प्रावधानों को लेकर चिंताएं जाहिर की जा रही थी। इस बिल के मसौदे में कुछ प्रावधान ऐसे हैं जो ऑनलाइन इन्फ्लुएंसर्स को, यदि वे अपने कार्य में वर्तमान मामलों से जुड़े होते हैं, तो उन्हें ब्रॉडकास्टर के रूप में टैग कर सकते हैं।

इस नए बिल में सभी ऑनलाइन कंटेंट क्रिएटर्स, जिनमें स्वतंत्र पत्रकार, यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर एक्टिव कंटेंट क्रिएटर्स से लेकर लिंक्डइन के “थॉट लीडर्स” और न्यूजलेटर लेखक शामिल हैं, उन्हें ओटीटी ब्रॉडकास्टर या डिजिटल न्यूज़ ब्रॉडकास्टर के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि अगर ये ब्रॉडकास्टर्स सरकार द्वारा निर्धारित एक निश्चित सीमा से ऊपर होते हैं, तो उन्हें कंटेंट के प्री-सर्टिफिकेशन के लिए कंटेंट इवैल्यूएशन कमेटी स्थापित करनी होगी।

विपक्ष ने इस बिल का विरोध किया था। इंडिया गठबंधन के नेताओं ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और फ्री प्रेस के लिए खतरा बताया था। विपक्ष का कहना था कि इस बिल के जरिए व्यक्तिगत कंटेंट बनाने वालों को भी नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है।

कांग्रेस नेत पवन खेड़ा ने विधेयक से जुड़े कई पहलुओं को चिंताजनक बताते हुए कहा था कि इसमें वीडियो अपलोड करने, पॉडकास्ट बनाने या समसामयिक मामलों के बारे में लिखने वाले किसी भी व्यक्ति को डिजिटल समाचार प्रसारक के रूप में लेबल करने का प्रावधान किया गया है। विपक्ष ने सरकार से विधेयक का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया में सिविल सोसाइटी के सदस्यों, पत्रकारों और प्रमुख हितधारकों को शामिल करने की मांग की थी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Hot Topics

Related Articles