बिहार और यूपी की पूरी आबादी के बारे में अपमानजनक बातें करना निंदनीय: तेजस्वी
द्रमुक के लोकसभा सदस्य दयानिधि मारन द्वारा उत्तर प्रदेश और बिहार के श्रमिकों पर महीनों पहले की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी का एक वीडियो रविवार को सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित होने के बाद भाजपा और तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी के बीच जुबानी जंग छिड़ गई। मारन ने कथित तौर पर कहा था कि हिंदी पट्टी के लोग तमिलनाडु में सड़क, शौचालय साफ कर रहे हैं और अन्य छोटे-मोटे काम कर रहे हैं। बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने उनके बयान की आलोचना की।
तेजस्वी यादव ने कहा कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की तरह, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रमुक भी ऐसी पार्टी है जो सामाजिक न्याय में विश्वास करती है और ऐसी पार्टी के नेता के लिए इस तरह की टिप्पणी करना अशोभनीय है।
राजद नेता ने कहा, ‘‘अगर द्रमुक सांसद ने जातीय अन्याय को उजागर किया होता, अगर उन्होंने बताया होता कि केवल कुछ सामाजिक समूहों के लोग ही ऐसी खतरनाक काम करते हैं, तो इसका कोई मतलब होता।’’ यादव ने कहा, ‘‘लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश की पूरी आबादी के बारे में अपमानजनक बातें करना निंदनीय है। हम इसकी निंदा करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि, हमारा मानना है कि लोगों को देश के अन्य हिस्सों से आने वालों के प्रति सम्मानजनक व्यवहार करना चाहिए। मारन के तमिल में दिए हालिया भाषण को लेकर विवाद पैदा हो गया है, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री ने अंग्रेजी शिक्षा के महत्व पर जोर दिया था।
बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन के सबसे बड़े घटक आरजेडी और तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का हिस्सा हैं। तेजस्वी यादव के स्टालिन के साथ व्यक्तिगत संबंध अच्छे हैं। आरजेडी नेता यादव ने कहा, ‘‘हम डीएमके को एक ऐसी पार्टी के रूप में देखते हैं जो सामाजिक न्याय के हमारे आदर्श में यकीन करती है. इसके नेताओं को ऐसी बातें कहने से बचना चाहिए जो इस आदर्श के विपरीत हों।
इसी बीच बिहार के विपक्षी दल बीजेपी ने भी मारन की आलोचना की और उसने उनसे और महागठबंधन से माफी मांगने की मांग की। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘दयानिधि मारन की टिप्पणियां बिहारी अस्मिता का अपमान हैं और इस बात का संकेत हैं कि वह सही मानसिक स्थिति में नहीं हैं। उन्हें माफी मांगनी चाहिए, अन्यथा बीजेपी़ आंदोलन शुरू करेगी।
बता दें कि, मारन ने दावा किया था कि जो लोग अंग्रेजी में दक्षता हासिल कर लेते हैं, उन्हें बिहार और उत्तर प्रदेश के निवासियों के विपरीत सूचना-प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में सम्मानजनक नौकरियां मिल जाती हैं। उन्होंने कहा कि बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग केवल हिंदी जानते हैं एवं वे ‘‘शौचालयों और सड़कों की सफाई तथा निर्माण श्रमिक के रूप में’’ काम करने के लिए तमिलनाडु जैसे समृद्ध राज्यों में पहुंच जाते हैं।