शराब की दुकानें खोलने के लिए सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस
देश के राष्ट्रीय राजमार्गों पर नशे में गाड़ी चलाने से कई दुर्घटनाएं होती हैं। इसके चलते राजमार्गों, धार्मिक स्थलों और शैक्षणिक संस्थानों के पास शराब की दुकानों पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगातार मुकदमे चल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते इस मामले पर अस्पष्टता दूर करने की मांग की थी। दिसंबर 2016 से अब तक मामले में कई फैसले लिए जा चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश के खिलाफ कई याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के सामने आईं। सुप्रीम कोर्ट ने पहले नगर निगम अधिकारियों को शैक्षणिक संस्थानों, मंदिरों, मस्जिदों और अन्य स्थानों के 150 मीटर के भीतर शराब की दुकानों की अनुमति नहीं देने का आदेश दिया था।
लाइसेंस प्राप्त शराब की दुकान के मालिकों की तरफ से बहस करते हुए वरिष्ठ वकील पीबी सुरेश और वकील विपिन नायर ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी के समर्थन के साथ तर्क दिया कि पुदुचेरी जैसे छोटे केंद्र शासित प्रदेश में 500 मीटर की दूरी वाला नियम लागू करने के कारण पूरे यूटी क्षेत्र में कोई शराब की दुकान नहीं होगी।
इसके अलावा, उन्होंने यह भी तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के आदेशों में नगर निगम अधिकारियों को आवश्यक्ता के अनुसार इन स्थानों से शराब की दुकानों की दूरी तय करने की अनुमति दी थी।
चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली पीठ ने 29 जनवरी के अपने आदेश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 20 मार्च 2023 के फैसले में निष्कर्ष निकाला था कि कोई भी शराब की दुकान राष्ट्रीय या राज्य राजमार्ग के बाहरी किनारे या सर्विस लेन के 500 मीटर के भीतर स्थित नहीं हो सकती है। बाद के आदेशों में यह कहा था कि यदि शहर की जनसंख्या 20,000 से कम है तो यह दूरी घटाकर 220 मीटर की जा सकती है।