कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन करते हुए अब तक हुई 220 किसानों की मौत

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन करते हुए अब तक हुई 220 किसानों की मौत

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कल शुक्रवार को कहा था कि केंद्र द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के चल रहे आंदोलन में हुई किसानों की मौत के बारे में कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है हालाँकि पंजाब सरकार की तरफ से पेश किए गए आकड़ों से पता पता चलता है कि कृषि क़ानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन में अब तक 220 किसाओं की मौत हुई है।

द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा एक्सेस किए गए पंजाब सरकार के आंकड़ों से पता चला है कि 20 जुलाई तक 220 किसानों की मौत हुई है इन 220 में से 203 (92%) मृतक किसान मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र के थे, जबकि 11 मृतक किसान (5%) माझा क्षेत्र से और छह मृतक किसान (2.7%) दोआबा क्षेत्र के थे।

हालाँकि संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया है कि नए कृषि क़ानूनों के खिलाफ आंदोलन करते हुए अब तक के दौरान 400 किसानों की मौत हुई है। पं

पंजाब राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा किसानों की मौत संगरूर जिले में हुई है, जहां पिछले आठ महीनों में ऐसी 43 मौतें हुई हैं। सरकार ने प्रत्येक मामले में 5 लाख रुपये मुआवजे की मंजूरी दी है। जिले में परिवारों को कुल 2.13 करोड़ रुपये पहले ही दिए जा चुके हैं।

इस तरह की मौतों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या पंजाब के बठिंडा जिले से सामने आई जहां 33 ऐसी मौतें हुईं और सरकार ने इन मृतक किसानों के परिजनों को कुल 1.65 करोड़ रुपये मंजूर किए है।

इसके अलावा मोगा में 27, पटियाला में 25, बरनाला में 17, मानसा में 15, मुक्तसर साहिब में 14, लुधियाना में 13 मामलों की पुष्टि हुई है.

फाजिल्का, फिरोजपुर और गुरदासपुर में क्रमश: सात, छह और पांच किसानों की मौत हुई है, जबकि अमृतसर और नवांशहर में चार-चार मौतें हुई हैं। मोहाली और तरनतारन में क्रमशः तीन और दो मौतें हुईं, जालंधर और कपूरथला में एक-एक मौत दर्ज की गई।

इसके अलावा, लगभग दो दर्जन और मृतक किसानों का विभिन्न जिलों में सत्यापन चल रहा है और उनमें से लगभग सभी को इस सूची में शामिल किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हाल ही में कहा था कि उनकी सरकार ऐसे मृतक के परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा के आधार पर नौकरी भी उपलब्ध करा रही है और इसके लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

बता दें कि केंद्र सरकार के नए कृषि क़नूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन में 18 वर्ष से 85 वर्ष के हर आयु वर्ग के किसानों की मौत हुई है और ये संख्या 40 से 60 वर्ष आयु वर्ग के बीच सबसे अधिक है।

फार्म यूनियंस भी अपने स्तर पर आंदोलन के दौरान हुई किसानों की मौत का विवरण एकत्र कर रही हैं और फार्म यूनियन के अनुसार अब तक दिल्ली में विरोध प्रदर्शन के दौरान 500 से अधिक किसानों की मौत हुई हैं, जिनमें से लगभग 85 प्रतिशत केवल पंजाब के हैं। इस आंकड़े में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ स्थानीय विरोध के दौरान पंजाब में हुई मौतें भी शामिल हैं।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Hot Topics

Related Articles