आरएसएस और भाजपा को 1947 में मिली आजादी याद नहीं: खड़गे

आरएसएस और भाजपा को 1947 में मिली आजादी याद नहीं: खड़गे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को कांग्रेस मुख्यालय के उद्घाटन के बाद पार्टी नेताओं को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि, आरएसएस और भाजपा के लोग आजादी (1947 में मिली) को याद नहीं रखते क्योंकि उनके वैचारिक पूर्वजों का स्वतंत्रता आंदोलन में कोई योगदान नहीं है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के ‘सच्ची स्वतंत्रता’ वाले बयान की कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने निंदा की। उन्होंने कहा कि यदि वह इसी तरह का बयान देते रहे तो देश में उनका घूमना-फिरना मुश्किल हो जाएगा।

खड़गे ने कहा, “मैं भागवत के बयान की निंदा करता हूं और अगर वह इस तरह के बयान देते रहे तो उनके लिए भारत में घूमना बहुत मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने आरएसएस और भाजपा का जिक्र करते हुए कहा, “उन्होंने कभी (आजादी के लिए) लड़ाई नहीं लड़ी, कभी जेल नहीं गए, इसलिए उन्हें आजादी के बारे में कुछ भी याद नहीं है… हमारे लोगों ने लड़ाई लड़ी, अपनी जान गंवाई, इसलिए हमें आजादी याद है।”

बता दें कि मोहन भागवत ने सोमवार को कहा था कि अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की तिथि ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ के रूप में मनाई जानी चाहिए क्योंकि अनेक सदियों से दुश्मन का आक्रमण झेलने वाले देश को सच्ची स्वतंत्रता इसी दिन मिली थी। खरगे ने भागवत पर निशाना साधते हुए कहा कि यह शर्म की बात है कि आजादी मिलने के बाद वह इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं।

नए कांग्रेस मुख्यालय के बारे में पार्टी अध्यक्ष ने कहा, “यह बहुत खुशी की बात है कि यह कार्यालय उसी क्षेत्र में बनाया गया है जहां हमारे नायकों ने सोचा था।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस मुख्यालय देश के लिए लोकतंत्र की पाठशाला की तरह है।

वहीं राहुल गांधी ने कहा, “कल मोहन भागवत ने संविधान पर हमला किया जब उन्होंने कहा कि संविधान हमारी आजादी का प्रतीक नहीं है, लेकिन इसके बाद भी हमारे हजारों कार्यकर्ता मारे गए पंजाब, कश्मीर, पूर्वोत्तर और यह पार्टी (कांग्रेस) एक खास मूल्यों के लिए खड़ी रही है और हम उन मूल्यों को इस इमारत में देख सकते हैं। पश्चिमी दुनिया के विपरीत जो स्वयं से बाहर पर ध्यान केंद्रित करती है, भारतीय सोच का तरीका स्वयं को समझने के बारे में है। भारत में स्वयं के बारे में दो दृष्टिकोण हैं जो संघर्ष में हैं। एक हमारा विचार है, संविधान का विचार और दूसरा आरएसएस का विचार है।”

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