कांवड़ रूट पर दुकानदारों को नाम लिखने के आदेश पर, विभिन्न दलों के नेताओं और बुद्धिजीवियों की प्रतिक्रियाएं

कांवड़ रूट पर दुकानदारों को नाम लिखने के आदेश पर, विभिन्न दलों के नेताओं और बुद्धिजीवियों की प्रतिक्रियाएं

उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इसे लेकर मुजफ्फरनगर पुलिस ने एक निर्देश जारी किया था, जिसके मुताबिक यात्रा के मार्ग पर पड़ने वाले तमाम होटलों, ढाबों और फल विक्रेताओं को अपनी दुकान और ठेले पर मालिक का नाम चस्पा करना होगा। इस आदेश को लेकर विपक्षी दलों के नेता लगातार यूपी सरकार पर निशाना साध रहे हैं।

यूपी पुलिस का यह आदेश/निर्देश आपत्तिजनक है। इससे पहले भी यूपी के एक डीजीपी ने कांवड़ियों पर सरकारी हेलिकॉप्टर से फूल बरसा कर धर्म विशेष के प्रति अपने पूर्वाग्रह का प्रदर्शन किया था। इन आदेशों का एक अर्थ यह भी निकाला जा रहा है कि इससे एक समुदाय विशेष के दुकानदारों का लोग बहिष्कार करें। इससे धर्म आधारित खाई और बढ़ेगी।

मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक सिंह ने इसकी पुष्टि मीडिया से करते हुए कहा- “कांवड़ यात्रा की तैयारी शुरू हो गई है। हमारे अधिकार क्षेत्र में, जो लगभग 240 किमी है, सभी भोजनालयों – होटल, ढाबा, ठेले (सड़क के किनारे) वाले दुकानदारों को अपने मालिकों या दुकान चलाने वालों के नाम प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि ताकि कांवड़ियों के बीच कोई भ्रम न हो और भविष्य में कोई आरोप न लगे, जिससे कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा हो। एसएसपी ने दावा किया कि हर कोई अपनी मर्जी से इसका पालन कर रहा है।

ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं: अखिलेश यादव

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने भी कांवड़ यात्रा को लेकर जारी इस आदेश की आलोचना की है। उन्होंने कोर्ट से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है और लिखा है कि, “माननीय कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेकर ऐसे प्रशासन के पीछे (UP News) सरकार की मंशा की जांच कर उचित दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए। ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ना चाहते हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पूछा है कि किसी व्यक्ति का नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फतेह हो तो उसका क्या अर्थ होगा?

हम भाजपा को देश को अंधकार युग में धकेलने की इजाजत नहीं दे सकते:पवन खेड़ा

पवन खेड़ा ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ‘सिर्फ राजनीतिक दलों को ही नहीं, सभी सही सोच वाले लोगों और मीडिया को इस राज्य प्रायोजित कट्टरता के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। हम भाजपा को देश को अंधकार युग में धकेलने की इजाजत नहीं दे सकते।

टीएमसी की सांसद महुआ मोईत्रा ने मुजफ्फरनगर प्रशासन के इस फैसले के संविधान विरोधी बताते हुए लिखा, ‘आगे क्या? क्या मुसलमान अपनी पहचान के लिए अपनी आस्तीन पर स्टार ऑफ डेविड का निशान पहनेंगे? अगली बार जब कांवड़ियों या उनके परिवारों को डॉक्टर या खून की आवश्यकता हो तो उनके इलाज के लिए दूसरी कांवड़ ढूंढ लें। यह पूरी तरह से अवैध और संविधान विरोधी है।

दुकानों पर निशान नाजी शासन में लगते थे: जावेद अख्तर लगते

कवि, गीतकार बुद्धिजीवी जावेद अख्तर को भी यह बात हजम नहीं हो पाई जावेद अख्तर ने इसकी तुलना जर्मनी के नाजी शासन से कर डाली और कहा कि नाजी शासन में दुकानों पर निशान लगते थे। जावेद अख्तर ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘मुजफ्फरनगर यूपी पुलिस ने निर्देश दिया है कि निकट भविष्य में किसी विशेष धार्मिक जुलूस के मार्ग पर सभी दुकानों, रेस्टोरेंट और यहां तक ​​कि वाहनों पर मालिक का नाम प्रमुखता से और स्पष्ट रूप से दर्शाया जाना चाहिए। क्यों? नाजी जर्मनी में वे केवल विशेष दुकानों और घरों पर ही निशान बनाते

यह एक संकेत है कि मुस्लिम मालिक वाली दुकानों से कोई भोजन नहीं खरीदा जाएगा: पत्रकार राजदीप सरदेसा

पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने सोशल मीडिया पर लिखा- तो अब, यूपी में कांवर यात्रा मार्ग पर खाद्य विक्रेताओं,फेरीवालों को पुलिस ने अपने ठेले,दुकानों,रेस्तरां पर अपना नाम लिखने के सख्त निर्देश दिए हैं। वास्तव में, यह एक संकेत है कि मुस्लिम मालिक वाली दुकानों से कोई भोजन नहीं खरीदा जाएगा! दक्षिण अफ्रीका में, ऐसी प्रथाओं को एक बार ‘रंगभेद’ परिभाषित किया गया था। सबका साथ, सबका विकास किसी का?

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