अमेठी से चुनाव लड़ने के सवाल पर राहुल का जवाब, आलाकमान जो फैसला करेगा, वो मानेंगे

अमेठी से चुनाव लड़ने के सवाल पर राहुल का जवाब, आलाकमान जो फैसला करेगा, वो मानेंगे

अमेठी: कांग्रेस नेता राहुल गांधी क्या अमेठी लोकसभा से चुनाव लड़ेंगे या नहीं? यह सवाल इस समय उत्तर प्रदेश के साथ ही साथ देश की राजनीति में भी अहम बना हुआ है। पारिवारिक सीट अमेठी में पिछले साल 2019 के चुनाव में हार मिलने के बाद राहुल केरल की वायनाड सीट से सांसद चुने गए। इस बार कांग्रेस के सीनियर नेताओं की तरफ से इशारा मिलने के बाद अब खुद राहुल गांधी ने इस संबंध में इशारा किया है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने यूपी की अमेठी सीट से चुनाव लड़ने को लेकर रुख साफ किया। उन्होंने बुधवार (17 अप्रैल, 2024) को कहा कि आलाकमान जो फैसला करेंगे, वो मानेंगे। दरअसल, अमेठी सीट 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की हार से पहले कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस सीट से राहुल गांधी 2004, 2009 और 2014 में लोकसभा चुनाव जीते थे।

गाजियाबाद में बुधवार को I.N.D.I.A. गठबंधन के साझेदार अखिलेश यादव के साथ राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। यहां भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधने के साथ ही अमेठी से चुनाव लड़ने के सवाल पर भी राहुल ने बात रखी। उन्होंने फैसला कांग्रेस आलाकमान के हाथ में छोड़ा। उनका कहना है कि कांग्रेस जो कहेगी वो करेंगे।

खास बात यह है कि राहुल गांधी ने अमेठी लोकसभा को लेकर ‘ना’ नहीं बोला है। कांग्रेस का गढ़ होने के कारण अमेठी और रायबरेली सीट पर गांधी परिवार को ही निर्णय लेना है। सूत्रों की माने तो अमेठी से राहुल गांधी की चुनाव लड़ने जा रहे हैं। पार्टी नेताओं की भी यही मांग है। हालांकि वायनाड चुनाव में व्यस्त होने के कारण राहुल गांधी की सहमति नहीं मिल पा रही है।

विपक्षी गठबंधन इंडिया तहत कांग्रेस को यूपी के 80 सीटों में प्रदेश में 17 सीटें दी गई है। इसमें रायबरेली और अमेठी सीट भी है, लेकिन दोनों ही सीटों पर कांग्रेस ने पत्ते नहीं खोले हैं। दूसरी तरफ राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं कि रायबरेली से कांग्रेस प्रियंका गांधी को टिकट दे सकती है। अमेठी से राहुल गांधी को चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है।

वहीं प्रियंका गांधी के पति और बिजनेसमैन रॉबर्ट वाड्रा ने अमेठी से चुनाव लड़ने के सवाल के जवाब में हाल ही में कहा था कि अमेठी से बात ज्यादा इसलिए उठ रही है, क्योंकि मैंने 1999 से वहां लोगों के बीच प्रचार किया और वहां पोस्टर भी लगने शुरू हुए। उन्होंने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा था कि स्मृति ईरानी को सांसद बनाने की जो भूल चूक हुई वो (लोग) उससे आगे बढ़ेंगे, लेकिन, मैं किसी को चुनौती देने के लिए नहीं लडूंगा।

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