मालेगांव ब्लास्ट केस में प्रज्ञा ठाकुर समेत सातों आरोपी बरी

मालेगांव ब्लास्ट केस में प्रज्ञा ठाकुर समेत सातों आरोपी बरी

महाराष्ट्र के मालेगांव ब्लास्ट मामले में गुरुवार को NIA कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सातों आरोपियों को बरी कर दिया है। ये फैसला 17 साल बाद आया। जज एके लाहोटी ने कहा कि ये साबित नहीं हुआ कि जिस बाइक में ब्लास्ट हुआ वो साध्वी प्रज्ञा के नाम थी। 17 साल बाद आए इस फैसले में बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को क्लीन चिट मिल गई है।

डेढ़ दशक से अधिक समय तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। जस्टिस लाहोटी ने कहा कि इस केस की जांच 3-4 एजेंसियां कर रही थीं। बाइक में बम रखने का कोई सबूत नहीं मिला। कर्नल पुरोहित के खिलाफ भी कोई साक्ष्य नहीं मिला है। इसके अलावा कश्मीर से आरडीएक्स लाने के भी कोई सबूत नहीं मिले हैं।

कब क्या हुआ था?
महाराष्ट्र के मालेगांव ब्लास्ट में मुंबई की एनआईए कोर्ट ने 17 साल बाद फैसला सुना दिय है। कोर्ट ने सितंबर, 2008 में हुए बम ब्लास्ट के मामले में …. दिया है। फैसले के वक़्त बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत तमाम आरोपी कोर्ट में मौजूद रहे।

नासिक के मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को रमजान के पवित्र महीने में रात 9:35 मिनट पर मालेगांव की भिक्खू चौक पर शक्तिशाली विस्फोट हुआ था। इस विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। बम ब्लास्ट के अगले ही दिन से नवरात्रि की शुरुआत होनी थी। मालेगांव ब्लास्ट की जांच पुलिस, एटीएस और एनआईए ने की है।

कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं
न्यायाधीश ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि मामले को संदेह से परे साबित करने के लिए कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं है। मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधान लागू नहीं होते। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह साबित नहीं हुआ है कि विस्फोट में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर पंजीकृत थी, जैसा कि अभियोजन पक्ष ने दावा किया है। यह भी साबित नहीं हुआ है कि विस्फोट कथित तौर पर बाइक पर लगाए गए बम से हुआ था।

कौन-कौन आरोपी थे?
इससे पहले सुबह सातों आरोपी दक्षिण मुंबई स्थित सत्र न्यायालय पहुंचे, जहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। आरोपी जमानत पर बाहर थे। मामले के आरोपियों में प्रज्ञा ठाकुर, पुरोहित, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल थे। उन सभी पर यूएपीए और भारतीय दंड संहिता तथा शस्त्र अधिनियम संबंधित धाराओं के तहत आतंकवादी कृत्य करने का आरोप लगाया गया था। अभियोजन पक्ष का दावा था कि स्थानीय मुस्लिम समुदाय को आतंकित करने के इरादे से दक्षिणपंथी चरमपंथियों ने विस्फोट की योजना बनाई थी।

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