फिलिस्तीनी झंडा फहराने पर मुस्लिम व्यक्ति की गिरफ्तारी पर पुलिस की आलोचना
उत्तर प्रदेश के भदोही में एक मुस्लिम व्यक्ति को मुहर्रम के जुलूस के दौरान फिलिस्तीनी झंडा फहराने पर गिरफ्तार कर लिया गया। साहिल उर्फ बादशाह को सोमवार को उस समय गिरफ्तार किया गया जब रविवार की रात एक जुलूस में लोगों के झंडा फहराने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। वीडियो में दिखाया गया है कि जुलूस के दौरान भारतीय ध्वज और फिलिस्तीनी ध्वज फहराया गया है। इस मामले में मोहम्मद गोरख नामक एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ भी मामला दर्ज है। पुलिस गोरख को पकड़ने की कोशिश कर रही है जो कथित तौर पर लापता है।
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पुलिस ने कहा कि मामला इसलिए दर्ज किया गया क्योंकि इस घटना से जनता में नफरत और दुश्मनी की भावनाएँ पैदा हो सकती हैं। एसएचओ सचिदानंद पांडे ने अखबार को बताया कि “हमने इस मामले में साहिल उर्फ बादशाह को गिरफ्तार किया है, जो एक सैलून चलाता है। जुलूस के वीडियो की जांच चल रही है।” उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 197, राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक कृत्य के तहत मामला दर्ज किया गया है।
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर ज़फर इस्लाम खान ने पुलिस की कार्रवाई की निंदा करते हुए इसे “शर्मनाक” और “अविश्वसनीय” करार दिया। उन्होंने कहा कि “अविश्वसनीय! शर्मनाक! क्या फिलिस्तीन दुश्मन देश है? यूपी पुलिस के खिलाफ मानवाधिकारों के इस तरह के खुले उल्लंघन के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए।”
पुलिस की कार्रवाई को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। कुछ लोगों ने इस बात की ओर इशारा किया कि भारत ने ऐतिहासिक रूप से फिलिस्तीनी कारण का समर्थन किया है। एआईएमआईएम के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने पुलिस पर तंज कसते हुए कहा कि इजरायली झंडा फहराने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। अगर फिलिस्तीनी झंडा दिखाना अपराध है तो क्या इजरायल का झंडा दिखाना अपराध की श्रेणी में नहीं आता? क्या एक देश में दो तरह के कानून हैं?