पीएम मोदी ने अपने “मित्र” डोनाल्ड ट्रंप की जीत पर बधाई दी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का डोनाल्ड ट्रंप को उनके राष्ट्रपति चुनाव में जीत पर बधाई संदेश एक बार फिर दोनों नेताओं के बीच के घनिष्ठ संबंधों और सहयोग की दिशा में संकेत देता है। पीएम मोदी ने इसे “ऐतिहासिक जीत” बताते हुए न केवल ट्रंप की सराहना की बल्कि भारत-अमेरिका संबंधों की अहमियत पर भी ज़ोर दिया। इस संदेश में प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से दोनों देशों के सामूहिक लक्ष्यों – प्रगति, वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि – के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई है, जो दोनों नेताओं के संबंधों की स्थायित्व को दर्शाता है।
पिछले कुछ वर्षों में पीएम मोदी और ट्रंप ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक-दूसरे का समर्थन किया है। उनकी दोस्ती का प्रतीक ह्यूस्टन में आयोजित “हाउडी मोदी” कार्यक्रम और अहमदाबाद में आयोजित “नमस्ते ट्रंप” जैसे कार्यक्रम रहे हैं, जो दोनों देशों के नागरिकों के बीच आपसी समझ और विश्वास को बढ़ाने का कार्य करते हैं। इन कार्यक्रमों ने भारत और अमेरिका के संबंधों को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक नई दिशा देने में मदद की।
विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से भारत-अमेरिका संबंधों में नए अवसर खुल सकते हैं, विशेषकर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए। दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग, जिसमें सैन्य उपकरणों की खरीद और खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान शामिल है, और भी मजबूत हो सकता है। इसके साथ ही, दोनों देश एक साथ मिलकर भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए रणनीतिक सहयोग बढ़ाने पर विचार कर सकते हैं।
ट्रंप प्रशासन ने भारत के साथ कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें व्यापारिक सहयोग, ऊर्जा क्षेत्र में साझेदारी, और रक्षा संबंधी सहयोग शामिल हैं। यह भी संभावना है कि ट्रंप और पीएम मोदी के कार्यकाल में दोनों देशों के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में और अधिक समझौते हो सकते हैं, जो विशेष रूप से डिजिटल तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, और साइबर सुरक्षा जैसे उभरते क्षेत्रों में लाभप्रद साबित होंगे।
इसके अतिरिक्त, दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में भी सुधार की उम्मीद है। ट्रंप के नेतृत्व में भारत के साथ व्यापारिक समझौतों में प्रगति हो सकती है, जिससे भारत को अमेरिकी बाजार में अधिक पहुँच मिल सकेगी और दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन को कम करने का प्रयास किया जाएगा। भारत में अमेरिकी निवेश को बढ़ावा देने की योजनाएँ भी बन सकती हैं, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे और भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
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