नोट बंदी से जनता त्रस्त और मीडिया मस्त

नोट बंदी से जनता त्रस्त और मीडिया मस्त

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार शाम 19 मई को 2,000 रुपये के नोटों को बंद करने और उन्हें सितंबर 2023 तक बैंकों में जमा करने का निर्देश जारी किया। इस घोषणा के बाद एक बार फिर नागरिकों में चिंता पैदा हो गई है और उनके मन में नोटबंदी की स्थिति ताजा हो गई है। आरबीआई के इस फैसले के संबंध में अधिकांश नागरिकों ने यही धारणा दी कि सरकार का यह निर्णय पैसे की बर्बादी और लोगों के लिए परेशानी का कारण है।

अचानक नोटबंदी की घोषणा से लोगों के दिलों में फिर यह डर पैदा हो गया है कि फिर से गर्मी में घंटों बैंकों में नोट बदलवाने के लिए लाइन में खड़ा होना पड़ेगा। वैसे तो नोट बदलने के लिए सितंबर तक का समय दिया गया है लेकिन नोट बंदी की घोषणा होते ही दुकानदारों ने 2000 के नोट लेने बंद कर दिए हैं, उस पर से आरबीआई ने घोषणा की है कि एक बार में केवल दस नोट ही बदले जा सकते हैं।

पहले जब 1000 का नोट बंद किया गया था। इसका नकारात्मक प्रभाव अभी भी महसूस किया जा रहा है, कहा नहीं जा सकता कि यह सरकार कब क्या कर देगी। महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक संकट जैसी समस्याओं से जनता का ध्यान भटकाने के लिए सरकार अब 2000 के नोट को बंद करने की घोषणा कर जनता का ध्यान इन समस्याओं से भटकाने की कोशिश कर रही है

थोड़े समय के लिए नोटों को बंद करने का कोई उदाहरण नहीं है!

2000 रुपये के नोट को बंद करने का सरकार का फैसला भले ही मीडिया को मास्टर स्ट्रोक लग रहा हो लेकिन जनता में इस से काफ़ी आक्रोश नज़र आ रहा है. उनको लगता है कि यह पैसे की बर्बादी है और उन्हें परेशानी में डाल देगा। सरकार की मंशा क्या है और क्या लक्ष्य रखा गया है, सब कुछ अंधेरे में है। ये भी समझ नहीं आता कि मोदी सरकार ने इतने कम समय के लिए 2000 के नोट क्यों जारी किए, इससे पहले ऐसा कोई उदाहरण नहीं है।

इन सब के बीच जब 2016 में 500 और 1000 नोट बंद हुए थे तो इसे सरकार का मास्टर स्ट्रोक बताने वाला मीडिया आज 2000 के नोट बंद होने पर भी इसे मास्टर स्ट्रोक बता रहा है, लेकिन स्टूडियो में बैठ कर डिबेट करने वाले किसी एंकर में इतना साहस नहीं है कि वह जनता में जाकर ग्राउंड रिपोर्ट कर सके और जनता को नोट बंदी 2 के लाभ समझा सके।

जब 2000 के नए नोट आए थे तब कुछ एंकरों ने तो यहाँ तक कह दिया था कि इस नोट में इलेक्ट्रॉनिक चिप लगी हुई है जो ज़मीन के अंदर नोटों के गड़े होने पर भी सिग्नल देगी कि यहाँ नोट गड़े हैं। हालांकि उन एंकरों के इस बयान पर जनता ने उस समय मज़ाक़ भी उड़ाया था और अब दोबारा उसी बयान पर यूज़र सोशल मीडिया पर मज़ाक़ उड़ा रहे हैं।

पिछली नोटबंदी जनता के लिए आफत साबित हुई और सरकार के दावे के विपरीत इस गलत फैसले से कोई फायदा नहीं हुआ, सिवाय इसके कि कई लोगों को अपना ही पैसा निकालने के लिए परेशान होना पड़ा। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि सरकार ने आतंकवाद की कमर तोड़ने और काले धन को खत्म करने के लिए बड़ा ऐलान किया था, लेकिन आरबीआई ने साफ कर दिया था कि 99 फीसदी नोट बैंक में वापस आ गए, अब नोट बंदी 2 के संबंध में भी यही होगा। सरकार के ऐलान से पहले ही बैंकों से बड़े पैमाने पर गायब हो गए 2000 के नोट, ये नोट कहां गए, इसका पता लगाने की जरूरत है।

कुछ लोग नोट बंदी को कर्नाटक चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं, उनका कहना है कि ‘कर्नाटक चुनाव के नतीजों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बड़ा झटका दिया है, जिसमें उन्होंने 2,000 के नोट को बंद करने की घोषणा की है। इस फैसले से आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश और दूसरे राज्यों के चुनाव और 2024 के संसदीय चुनाव की तैयारी के संकेत मिल रहे हैं।

इस से पहले जब 2016 में 500 और 1000 के नोट बंद किए गए थे तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद टीवी चैनेल पर आकर नोटबंदी की घोषणा की थी और उस समय 100 से ज़्यादा लोगों की नोट बदलने के लिए बैंक की लाइन में खड़े होने के कारण मौत हो गई थी ,और मृतकों के परिवारों को इसका कोई मुआवज़ा भी नहीं मिला था।

लेकिन इस बार नोट बंदी की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जापान दौरे पर जाने के बाद आरबीआई ने की है, जिसे लेकर जनता में काफी आक्रोश पाया जा रहा है, और मीडिया अभी भी इसे मास्टर स्ट्रोक कहते हुए भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई बता रहा है।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए IscPress उत्तरदायी नहीं है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Hot Topics

Related Articles