विपक्षी दलों ने वक्फ संशोधन विधेयक को स्टैंडिंग कमेटी में भेजने की मांग की
नई दिल्ली: वक्फ अधिनियम में संशोधन के लिए विधेयक का मसौदा लोकसभा में पेश किए जाने से पहले ही विपक्षी दलों ने मांग की है कि इसे जांच के लिए अल्पसंख्यक मामलों से संबंधित संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाए। उल्लेखनीय है कि उक्त संशोधन विधेयक का मसौदा सार्वजनिक कर दिया गया है। सरकार ने विपक्ष की मांग पर बिजनेस एडवाइजरी कमेटी में कहा है कि वह विधेयक को लोकसभा में पेश करने के बाद सदन की समग्र मंशा को देखते हुए इस संबंध में फैसला करेगी।
कांग्रेस, समाजवादी और टीएमसी की मांग
केंद्र ने इस बात का संकेत दिया है कि गुरुवार को विधेयक पेश किए जाने के बाद सरकार इसे मंजूर कराने का दबाव नहीं डालेगी। विधेयक को स्थायी समिति में भेजने या न भेजने का फैसला भी गुरुवार को ही किया जाएगा। लोकसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और टीएमसी के प्रतिनिधियों ने जोर देकर कहा है कि चूंकि मुसलमानों और उनकी संगठनों की ओर से विधेयक का विरोध किया जा रहा है, इसलिए इसे पहले संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए। चूंकि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अधीन स्थायी समिति अभी गठित नहीं हुई है इसलिए इसकी अनुपस्थिति में सदन इस मामले के लिए अलग समिति गठित कर सकता है।
विपक्ष को सरकार की नीयत पर शक
वक्फ अधिनियम में संशोधन के संबंध में केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए विपक्ष की ज्यादातर पार्टियों ने इसके विरोध का संकेत दिया है। सीपीएम के सांसद अमराराम ने संशोधन का विरोध करते हुए समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत के दौरान कहा कि बीजेपी नफरत की नीति में विश्वास रखती है इसलिए वक्फ बोर्डों को मजबूत करने के बजाय उनमें हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, “अल्पसंख्यकों को शिक्षा और रोजगार प्रदान करने के बजाय, उन्होंने (बीजेपी) ने हमेशा उनके अधिकारों पर हमला किया है। हम इसकी निंदा करते हैं।”
सभी पक्षों की राय सुनने की मांग
झारखंड मुक्ति मोर्चा की सांसद महुआ मांझी ने एकतरफा बदलावों का विरोध करते हुए कहा कि यदि बदलाव करना है तो सभी पक्षों की राय सुननी चाहिए और उसका ख्याल रखना चाहिए। शिवसेना (उद्धव) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार बजट पर चर्चा से भागना चाहती है इसलिए वह वक्फ का मुद्दा लेकर आई है। उन्होंने कहा, “जब तक यह विधेयक संसद में पेश नहीं हो जाता मैं कोई टिप्पणी नहीं कर सकती।”
मुस्लिम लीग के ईटी मोहम्मद बशीर ने आरोप लगाया कि सरकार का यह कदम दुर्भावनापूर्ण है जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करना है। उन्होंने संसद के बाहर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “यदि ऐसा कोई विधेयक पेश किया जाता है तो हम पूरी ताकत से इसका विरोध करेंगे।” समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वे वक्फ अधिनियम में संशोधन का विरोध करेंगे।
राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने भी इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार राजनीति कर रही है ताकि “हिंदुओं और मुसलमानों में मतभेद पैदा किया जा सके।” उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, “आपको एक बात समझनी चाहिए। केंद्र सरकार जनता के कल्याण के लिए काम नहीं कर रही है। उन्हें गरीबों, उनकी समस्याओं, महंगाई या बेरोजगारी से कोई लेना-देना नहीं है… बीजेपी को इन चीजों से फर्क नहीं पड़ता, वे केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए हिंदू-मुस्लिम करते रहने में विश्वास रखते हैं।”