ग़ाज़ा पर पर इज़रायली अत्याचार के एक साल पूरे , 42 हज़ार शहीद, 10 हज़ार लापता

ग़ाज़ा पर पर इज़रायली अत्याचार के एक साल पूरे , 42 हज़ार शहीद, 10 हज़ार लापता

ग़ाज़ा पर हमलों के एक साल पूरा होने के मौके पर इज़रायल ने अपने हमले और तेज़ कर दिए हैं। रविवार को ग़ाज़ा की एक मस्जिद पर हुए विनाशकारी हमले में 26 से अधिक लोग शहीद हो गए, वहीं दक्षिणी ग़ाज़ा में शरण लिए हुए हज़ारों फ़िलिस्तीनियों को फिर से इलाक़ा खाली करने का आदेश दिया गया है। एक साल से चल रहे इन हमलों में लगभग 42 हज़ार (41,870) लोग शहीद हो चुके हैं और 97,166 लोग घायल हुए हैं। इनमें 16 हज़ार से अधिक बच्चे और बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हैं। 10 हज़ार से अधिक लोग लापता हैं, जिनके बारे में आशंका है कि वे मलबे के नीचे दब गए हैं।

ग़ाज़ा की 6 प्रतिशत आबादी खत्म हो गई

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, पिछले एक साल में इज़रायली हमलों में ग़ाज़ा की 6 प्रतिशत आबादी खत्म या घायल हो चुकी है, जबकि 90 प्रतिशत लोग बेघर हो गए हैं और इज़रायली सेना के बार-बार इलाक़ा खाली करने के आदेश की वजह से दर-दर भटकने को मजबूर हैं। फ़िलिस्तीन के कब्ज़े वाले इलाकों के लिए WHO के टीम लीडर अयादिल सापरबेकोव ने जिनेवा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि “12 महीने हो चुके हैं, लेकिन हमले जारी हैं। ग़ाज़ा की 6 प्रतिशत आबादी या तो खत्म हो चुकी है या घायल है, जबकि 10 हज़ार लोग मलबे के नीचे दबे हुए हैं।” युद्ध शुरू होने से पहले ग़ाज़ा की आबादी 2.3 मिलियन थी।

इज़रायल ने चिकित्सा प्रणाली को बर्बाद कर दिया

WHO के प्रतिनिधि ने बताया कि बार-बार निशाना बनाए जाने की वजह से और दवाओं, ईंधन और कर्मचारियों की भारी कमी के कारण ग़ाज़ा की चिकित्सा प्रणाली “बुरी तरह” प्रभावित हुई है। उन्होंने आगे बताया कि एक साल में इज़रायल ने अस्पतालों और चिकित्सा केंद्रों पर 516 हमले किए हैं, जिनमें 765 चिकित्सा कर्मी मारे गए हैं। अयादिल सापरबेकोव ने बताया कि ग़ाज़ा के आधे से भी कम अस्पताल आंशिक रूप से काम कर रहे हैं, जबकि 43 प्रतिशत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सेवाएं देने में सक्षम हैं। उन्होंने हमलों में घायल हुए आम नागरिकों के बारे में बताया कि 24,090 लोग हमेशा के लिए विकलांग हो गए हैं।

85 प्रतिशत स्कूल तबाह हो चुके

पिछले एक साल में इस्राइल ने 560 से अधिक स्कूलों को बार-बार निशाना बनाकर तबाह कर दिया है। इज़रायली सेना द्वारा बार-बार इलाक़ा खाली करने के आदेशों के कारण स्कूलों को शरणार्थी केंद्र के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जिन्हें इज़रायल यह कहकर निशाना बनाता है कि उनमें हमास के लड़ाकों ने पनाह ले रखी है और वे स्कूलों को अपने कमांड सेंटर के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के संगठन यूनिसेफ द्वारा 6 जुलाई तक तैयार किए गए आंकड़ों के अनुसार, 564 स्कूलों को इज़रायल ने सीधे तौर पर निशाना बनाया है।

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