सूरत से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का नामांकन पत्र खारिज
सूरत: सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का नामांकन फॉर्म जांच के दायरे में आ गया है। चुनाव अधिकारी ने कुंभानी के नामांकन को अस्थायी रूप से अमान्य कर दिया है। उनके तीन प्रस्तावकों रमेश पलारा, जगदीश सावलिया और ध्रुविन धमेलिया ने दावा किया है कि उन्होंने उनके नामांकन फॉर्म पर हस्ताक्षर नहीं किए थे।
इस संबंध में उन्होंने चुनाव अधिकारी के समक्ष हलफनाफा पेश किया। गौरतलब है कि सूरत में 1990 के दशक से ही काफी वोटों के अंतर से भाजपा उम्मीदवार जीतते रहे हैं। सूरत से कांग्रेस के वैकल्पिक उम्मीदवार सुरेश पडसाला का नामांकन पत्र भी अवैध करार दिया गया है जिससे गुजरात का मुख्य विपक्षी दल शहर में चुनावी मुकाबले से बाहर हो गया है।
इस मामले में आप नेता गोपाल इटालिया ने कहा कि जालसाजी का आरोप लगाने वाले प्रस्तावक दबाव में हो सकते हैं। इस बात की संभावना है कि उन्हें मजबूर किया गया है। यह मुद्दा ऐसे समय उठा है जब नामांकन की अंतिम तारीख 19 अप्रैल बीत चुकी है। कांग्रेस पार्टी ने बैकअप उम्मीदवार के रूप में सुरेश पडसाला का भी नामांकन कराया था। लेकिन उनके नामांकन फॉर्म पर पर भी अवैध हस्ताक्षर के समान आरोप हैं।
निर्वाचन अधिकारी सौरभ पारधी ने अपने आदेश में कहा कि कुम्भणी और पडसाला द्वारा सौंपे गए तीन नामांकन पत्रों को प्रस्तावकों के हस्ताक्षरों में प्रथम दृष्टया विसंगतियां पाए जाने के बाद खारिज कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि ये हस्ताक्षर असली नहीं दिखते। पारधी ने आदेश में कहा कि अत: कुम्भणी के नामांकन पत्र को खारिज किया जाता है।
आदेश में कहा गया कि प्रस्तावकों ने अपने हलफनामों में कहा है कि उन्होंने फॉर्म पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए कांग्रेस के वकील बाबू मंगुकिया ने कहा, ‘‘नीलेश कुम्भणी और सुरेश पडसाला के नामांकन पत्र खारिज कर दिए गए हैं। चार प्रस्तावकों ने कहा है कि फॉर्म पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं।’’ उन्होंने कहा कि अब उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय का रुख किया जाएगा।
आदेश में कहा गया कि प्रस्तावकों ने अपने हलफनामों में कहा है कि उन्होंने फॉर्म पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए कांग्रेस के वकील बाबू मंगुकिया ने कहा, ‘‘नीलेश कुम्भणी और सुरेश पडसाला के नामांकन पत्र खारिज कर दिए गए हैं। चार प्रस्तावकों ने कहा है कि फॉर्म पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं।’’ उन्होंने कहा कि अब उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय का रुख किया जाएगा।


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