माधवी पुरी पर करोड़ों की अवैध कमाई का नया आरोप
नई दिल्ली: हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी को क्लीन चिट देने वाली सेबी की प्रमुख माधवी पुरी बुच के खिलाफ नए-नए आरोप सामने आ रहे हैं। शुक्रवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बड़ा खुलासा किया। खेड़ा ने कहा कि सेबी की जांच के दायरे में आने वाली एक कंपनी से माधवी पुरी बुच ने 2018 से 2024 के बीच 2.16 करोड़ रुपये की कमाई की है। उन्होंने इसे स्पष्ट रूप से “भ्रष्टाचार का मामला” बताते हुए इसे न केवल अनैतिक, बल्कि हितों के टकराव का मामला करार दिया। खेड़ा ने यह भी संकेत दिया कि माधवी पुरी के खिलाफ और भी खुलासे होने बाकी हैं।
कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने जानकारी दी कि माधवी पुरी बुच 2018 तक सेबी की पूर्णकालिक सदस्य बन चुकी थीं। इस पद पर रहते हुए उन्होंने अपनी एक संपत्ति को किराए पर दिया, जिसके बदले उन्हें 2018-19 में 7 लाख रुपये का किराया मिला। 2019-20 में यह किराया बढ़कर 36 लाख रुपये हो गया और अगले वर्ष 46 लाख रुपये तक पहुंच गया। खेड़ा ने बताया कि यह संपत्ति कैरोल इंफो सर्विसेज लिमिटेड नामक कंपनी को किराए पर दी गई थी, जो वॉकहार्ट कंपनी का हिस्सा है। खास बात यह है कि वॉकहार्ट वही कंपनी है, जिसके खिलाफ सेबी लगातार जांच कर रही है।
यह सीधा-सीधा भ्रष्टाचार का मामला है: पवन खेड़ा
खेड़ा ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह सीधा-सीधा भ्रष्टाचार का मामला है। माधवी पुरी बुच ने सेबी की सदस्य रहते हुए अपनी संपत्ति एक ऐसी कंपनी को किराए पर दी, जिसके खिलाफ वह स्वयं कार्यवाही कर रही थीं। इस दौरान उन्होंने कुल 2.16 करोड़ रुपये की कमाई की। कांग्रेस नेता ने सवाल उठाया कि क्या माधवी पुरी ने इन वित्तीय गतिविधियों की जानकारी सेबी को दी थी? और क्या यह उचित है कि कोई अधिकारी अपनी संपत्ति उस कंपनी को किराए पर दे, जिसके साथ वह स्वयं जुड़े मामले देख रही हो?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी साधा निशाना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए खेड़ा ने कहा, “क्या प्रधानमंत्री का माधवी पुरी से कोई समझौता है कि सरकार उन कंपनियों में हस्तक्षेप नहीं करेगी, जिनसे माधवी पुरी के व्यावसायिक संबंध हैं?” उन्होंने आगे कहा, “प्रधानमंत्री ने माधवी पुरी बुच को ऐसा कौन सा वरदान दिया है कि वह कुछ भी करें, तो उन्हें माफ कर दिया जाता है?” खेड़ा ने यह भी कहा कि सेबी की प्रमुख से जुड़े इस मामले से देश के करोड़ों निवेशकों के विश्वास को ठेस पहुंच रही है। “देश की साख पर सवाल उठना हमारी सबसे बड़ी चिंता है।