मोहन भागवत ने मारी पलटी , मुसलमानों की बढ़ती आबादी पर चिंता जताई

मोहन भागवत ने मारी पलटी , मुसलमानों की बढ़ती आबादी पर चिंता जताई देश के सभी नागरिकों के पूर्वज एक एवं मुसलमानों को देश का अभिन्न अंग बताने जैसे बयान देकर अपनी छवि चमकाने का प्रयास करने वाले संघ प्रमुख ने मुसलमानों को लेकर फिर विपरीत बयान दिए हैं।

मोहन भागवत ने आरएसएस के मुख्यालय में हथियार पूजा के बाद संघ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भारत में धार्मिक जनसंख्या वृद्धि दर में अंतर को लेकर चिंता जताते हुए उसे देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बताया है। नागपुर स्थित आरएसएस के हेड क्वार्टर पर शस्त्र पूजा करने के बाद मोहन भागवत ने संघ के संस्थापक हेडगेवार और गोलवलकर को श्रद्धांजलि दी।

मोहन भागवत ने जनसंख्या वृद्धि दर में भारी अंतर विदेशी घुसपैठ और अंतर के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों की आबादी में बढ़ रहे अनुपात एवं असंतुलन को देश की एकता अखंडता और सांस्कृतिक पहचान के लिए खतरा बताते हुए कहा है कि यह गंभीर संकट का कारण बन सकता है। मोहन भागवत ने कहा भारत में उत्पन्न मतपंथों के अनुयायियों का अनुपात 88% से घटकर 83,8 प्रतिशत रह गया है वहीँ मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात 9,8 से बढ़कर 14,23 हो गया है।

मोहन भागवत ने कहा के हिंदू मंदिरों का संचालन हिंदू भक्तों के हाथों में ही रहे और मंदिर की संपत्ति का उपयोग पूजा अर्चना के साथ साथ हिंदू समाज की सेवा और कल्याण के लिए ही हो। यह अत्यंत आवश्यक और जरूरी है।

मोहन भागवत ने कहा कि अपने समान पूर्वजों में हमारे सब के आदर्श हैं। इस बात की समझ के कारण ही जिस देश में समय-समय पर हसन खान मेवाती, हाकिम खान सूरी, खुदाबख्श और ग़ौस खान जैसे वीर, अशफाक उल्ला खान जैसे क्रांतिकारी होते रहे हैं। जो सभी के लिए अनुकरणीय हैं।

उन्होंने कहा कि हिंदू समाज को खड़ा होना पड़ेगा। उन्हें जागरूक संगठित एवं शक्तिशाली बनते हुए सक्रिय होना पड़ेगा। सक्रिय समाज ही सब समस्याओं का समाधान है। हमें हर तरह के डर से छुटकारा पाना होगा। दुर्बलता कायरता को जन्म देती है। शक्ति उपासना किसी के विरोध या प्रतिक्रिया में नहीं है। सत्य एवं शांति भी शक्ति के ही आधार पर चलती है। बल, शील, ज्ञान तथा संगठित समाज को ही दुनिया सुनती है।

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