मॉब लिंचिंग के मामलों को सेलेक्टिव तरीके से नहीं उठाया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में 16 अप्रैल को पूरे देश में मॉब लिंचिंग के मामलों को लेकर सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने कन्हैयालाल हत्याकांड का जिक्र किया और कहा कि मॉब लिंचिंग के मामलों को सेलेक्टिव तरीके से नहीं उठाया जा सकता है। इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने राज्यों को 6 और हफ्तों का समय दिया है। उनको मॉब लिंचिंग के मामलों में की गई कार्रवाई के संबंध में कोर्ट को अपने जवाब सौंपने हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि मॉब लिंचिंग की घटनाओं को धर्म के आधार पर नहीं देखा जाना चाहिए। मॉब लिंचिंग और गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा को रोकने के मामले में सुप्रीम कोर्टने राज्यों से छह हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई की अगुआई वाली बेंच ने इस मामले में राज्य सरकारों से ऐक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी है।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन विमन (NFIW) नाम के संगठन ने इस संबंध में एक जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका में पूछा गया था कि अलग-अलग राज्यों ने मॉब लिंचिंग से जुड़े मामलों को लेकर जो कदम उठाए हैं, उनकी जानकारी दी जाए। लेकिन केवल मध्य प्रदेश और हरियाणा की सरकारों ने जवाब दाखिल किए थे। इसके बाद जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा,
“ज्यादातर राज्यों ने अभी तक अपने हलफनामे नहीं दिए हैं। ये अपेक्षित था कि राज्य इस संबंध में जानकारी दें कि उन्होंने अभी तक क्या कदम उठाए हैं। ऐसे में हम उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए 6 और हफ्तों का समय देते हैं। इस मामले में NFIW की तरफ से अधिवक्ता निजाम पाशा पेश हुए थे। उन्होंने दलील दी कि देश में मॉब लिंचिंग के मामले बढ़ रहे हैं और ज्यादातर समय इन मामलों को एक सामान्य हादसा या झड़प बता दिया जाता है। कहा गया कि इस तरह से तहसीन पूनावाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जो दिशा-निर्देश दिए थे, उनका उल्लंघन किया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट में महिला संगठन की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग रोकने को आदेश जारी किया था, उस पर अमल किया जाना चाहिए। कोर्ट के पूछने पर याचिकाकर्ता ने बताया था कि याचिका में उदयपुर के कन्हैया लाल हत्याकांड का जिक्र नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में सिलेक्टिव मत बनिए, क्योंकि यह मामला सभी राज्यों से जुड़ा है।


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