विधायक राजेश कुमार बिहार कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष, अखिलेश सिंह की छुट्टी
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस हाईकमान ने बड़ा बदलाव किया है। अखिलेश सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया है। उनकी जगह पार्टी के विधायक राजेश कुमार को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
राजेश कुमार औरंगाबाद के कुटंबा से विधायक हैं। चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के जरिए एनडीए ने कांग्रेस का दलित वोट बैंक तोड़ दिया है। कांग्रेस ने इसे वापस लाने की कोशिश की है। पिछले प्रभारी भक्त चरण दास ने इन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने की कोशिश की थी।
कांग्रेस आलाकमान बिहार को लेकर एक के बाद एक बड़े फैसले ले रही है। हाल की में बिहार प्रभारी को बदलने के बाद कन्हैया कुमार की पद यात्रा कराना और अब प्रदेश अध्यक्ष को ही बदल दिया गया।
वैसे तो इस बात की चर्चा काफी दिनों से चल रही थी कि अखिलेश सिंह पार्टी से नाराज चल रहे हैं। कन्हैया कुमार को बिहार में बिना प्रदेश अध्यक्ष से पूछे उतार देना उनको खल गया था। कन्हैया कुमार से ना सिर्फ महागठबंधन की अन्य पार्टी बल्कि खुद कांग्रेस के भी कई नेता उनका बिहार में आना पसंद नहीं कर रहे हैं।
अखिलेश सिंह की नाराजगी इस हद तक थी कि 12 मार्च को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की समीक्षा बैठक तक रद्द करनी पड़ी और अब अखिलेश सिंह को पद से भी हटना गवारा हो गया। वहीं कांग्रेस का लिया गया ये फैसला इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि पार्टी बिहार में खुद को दोबारा स्थापित करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।
अखिलेश सिंह को हटाने की वजह पार्टी के अंदरूनी मतभेद और प्रदेश इकाई में लगातार उठ रहे असंतोष को माना जा रहा है। राजेश कुमार के नेतृत्व में पार्टी अब नई रणनीति के तहत काम करेगी।
अखिलेश सिंह पर यह आरोप लग रहा है कि उन्होंने सेल्फ इंटरेस्ट में पॉलिटिक्स की। उनका राज्यसभा का टर्म पूरा हो गया था, वे चाहते तो किसी अन्य कांग्रेसी को मौका दे सकते थे, लेकिन दोबारा कांग्रेस से राज्यसभा गए। बेटे आकाश को महाराजगंज से टिकट दिलवाया। आकाश, बीजेपी नेता जनार्दन सिंह सिग्रीवाल से हार गए। ये राजपूत-भूमिहार बहुल इलाका है।
किसान कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष धीरेंद्र कुमार सिंह ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह पर बड़े और गंभीर आरोप जून माह में लगाए थे। उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि टिकट बंटवारे में लेन-देन किया गया।
साथ ही बाहरी प्रत्याशी को टिकट दिया। गलत नीति और राजद से प्रेम के चलते ही पार्टी को बिहार में तीन सीटों पर संतोष करना पड़ा। कांग्रेस को नौ में से सात सीटों पर जीत तय थी।