Meta भारत में सांप्रदायिक नफरत भड़काने का दोषी है।: I.N.D.I.A गठबंधन
I.N.D.I.A गठबंधन के 14 नेताओं ने गूगल के सीईओ सुंदर पिचई और मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को एक लेटर लिखा है। 11 अक्टूबर को लिखे इस लेटर में विपक्षी गठबंधन ने मेटा और यूट्यूब पर पक्षपात करने का आरोप लगाया। I.N.D.I.A ब्लॉक ने कहा कि इन प्लेटफॉर्म्स पर विपक्षी नेताओं के कंटेंट को काटा, छांटा और दबाया जाता है। साथ ही भारत में सत्ताधारी दल के कंटेंट को प्रमोट किया जाता है।
I.N.D.I.A गठबंधन के नेताओं का कहना है कि किसी निजी विदेशी कंपनी का विशेष राजनीतिक गठबंधन के साथ इस तरह का पक्षपात भारतीय लोकतंत्र में दखल देने जैसा है। इंडिया गठबंधन इसे गंभीरता से लेते हैं। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर हमारी गुजारिश है कि इन बातों को गंभीरता से लें और तत्काल यह सुनिश्चित करें कि अल्फाबेट का भारत में कामकाज निष्पक्ष रहेगा। भारतीय लोकतंत्र के मानकों के साथ जानबूझकर या अंजाने में कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट कर कहा- हम इसकी विस्तृत रिपोर्ट और जांच भी संलग्न कर रहे हैं। गूगल को लिखे लैटर में कहा गया है कि आप वाशिंगटन पोस्ट अखबार के हालिया खुलासे से अवगत होंगे जिसका शीर्षक था- “उसने भारतीय मुसलमानों पर अपने हमलों को लाइव-स्ट्रीम किया। यूट्यूब ने उसे पुरस्कार दिया।
इसमें सांप्रदायिक नफरत फैलाने और भारतीय समाज को विभाजित करने में यूट्यूब की भूमिका के बारे में बताया गया है। विशेष रूप से लेख में इस बात का विवरण दिया गया है कि भाजपा सदस्यों और समर्थकों द्वारा YouTube का उपयोग करके घृणित, सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी प्रचार कैसे किया जाता है।
वाशिंगटन पोस्ट की इस विस्तृत जांच से यह बिल्कुल स्पष्ट है कि अल्फाबेट और विशेष रूप से यूट्यूब भारत में सामाजिक वैमनस्य को बढ़ावा देने और सांप्रदायिक नफरत को भड़काने का दोषी है। इसके अलावा हमारे पास डेटा है जो सत्तारूढ़ पार्टी की सामग्री को बढ़ावा देने के साथ-साथ आपके मंच पर विपक्षी नेताओं की सामग्री के एल्गोरिथम मॉडरेशन को दर्शाता है। 2024 में आगामी राष्ट्रीय चुनावों के मद्देनजर आपसे हमारी तत्काल अपील है कि आप इन तथ्यों पर गंभीरता से विचार करें।
वहीं मेटा को लिखे लैटर में कहा गया कि आप सत्तारूढ़ भाजपा के सांप्रदायिक घृणा को समर्थन देने में व्हाट्सएप और फेसबुक की भूमिका के बारे में वाशिंगटन पोस्ट अखबार के हालिया खुलासे से अवगत हो सकते हैं। लेख में भाजपा सदस्यों और समर्थकों द्वारा व्हाट्सएप ग्रुप्स का उपयोग कर घृणित, सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी प्रचार करने के बारे में कहा गया है।
‘भारत के दबाव में फेसबुक ने दुष्प्रचार और घृणास्पद भाषण को पनपने दिया’ शीर्षक वाले एक अन्य लेख में फेसबुक इंडिया के अधिकारियों द्वारा सत्ताधारी सरकार के प्रति जबरदस्त पक्षपात को साक्ष्य के साथ स्पष्ट किया है। यह बात हम विपक्ष में लंबे समय से जानते थे और पहले भी कई बार इसे उठा चुके हैं। वाशिंगटन पोस्ट की इन विस्तृत जांचों से यह बिल्कुल स्पष्ट है कि मेटा भारत में सामाजिक वैमनस्य को बढ़ावा देने और सांप्रदायिक नफरत भड़काने का दोषी है।


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