मौलाना कलीम सिद्दीकी की जमानत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मौलाना कलीम सिद्दीकी की जमानत रद्द करने हेतु, सुप्रीम कोर्ट ने उन पर लगे आरोपों पर सख्त असंतोष जताते हुए कथित धर्मांतरण मामले में उनकी विशेष भूमिका के बारे में ब्योरा जुटाने का आदेश दिया है।
धर्मांतरण मामले में मौलाना कलीम सिद्दीकी को जमानत देने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ योगी सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अनिरुद्ध बोस और संजय कुमार की पीठ ने उन पर लगे आरोपों को सामान्य प्रकृति का करार दिया।
न्यायमूर्ति कुमार ने कहा कि सरकार को अपने जवाबी हलफनामे में क्रम संख्या के साथ उनकी विशेष भूमिका के बारे में बताना चाहिए और आरोपों के जवाब में सबूत भी देना चाहिए और प्रत्येक आरोप का कानूनी विवरण भी देना चाहिए।
जब अदालत ने मौलाना कलीम सिद्दीकी के खिलाफ आरोपों पर नाराजगी व्यक्त की, तो योगी सरकार ने दावा किया कि वह भारतीय संविधान के खिलाफ युद्ध छेड़ने और इसे शरिया कानून में बदलने के लिए एक राष्ट्रव्यापी नेटवर्क का नेतृत्व कर रहे थे। हालांकि, मौलाना कलीम सिद्दीकी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इस बात का जोरदार खंडन किया और योगी सरकार से सबूत मांगा।
अतिरिक्त महाधिवक्ता ग्रीमा प्रसाद ने दावा किया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मौलाना कलीम सिद्दीकी को जमानत देकर गलती की क्योंकि वह महज एक सह-अभियुक्त को दी गई जमानत पर निर्भर था। जब पीठ ने यूपी सरकार से पूछा कि क्या वह कह रही है कि मौलाना कलीम सिद्दीकी विदेशों से धन प्राप्त कर अपने भाषण से लोगों का धर्मांतरण कर रहे थे।
इस परा ग्रीमा प्रसाद ने पीठ को और समझाने की कोशिश करते हुए दावा किया कि न केवल इतना, बल्कि वे संविधान के खिलाफ भी युद्ध छेड़ रहे हैं। यूपी सरकार ने एक और दावा किया कि वे देश की जनसंख्या भी बदलना चाहते हैं। लेकिन कोर्ट ने यूपी सरकार की इस महत्वाकांक्षी दलील को तब ख़ारिज कर दिया जब जस्टिस बोस ने कहा कि संविधान के तहत भारत में धर्म परिवर्तन गैरकानूनी नहीं है, धर्म परिवर्तन की इजाजत है।
कपिल सिब्बल ने कोर्ट में यूपी सरकार की ओर से किए गए दावों पर कड़ी आपत्ति जताई और उन्हें झूठा करार दिया। उन्होंने बेंच से कहा कि सीआरपीसी की धारा 161 के तहत मेरे पास सभी बयान हैं। मैंने खुद एक चार्ट बनाया है, जिसका यूपी सरकार जो दावा कर रही है, उससे कोई लेना-देना नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी। बता दें कि इसी साल अप्रैल में मौलाना कलीम सिद्दीकी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी। मौलाना कलीम सिद्दीकी को जमानत देते समय कई शर्तें लगाई गई थीं। किसी भी शर्त का उल्लंघन न करने के बावजूद योगी सरकार ने उनकी जमानत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।