महविश मौला ने अकाउंटिंग परीक्षा में वैश्विक स्तर पर शीर्ष स्थान प्राप्त किया
खुद ही को कर बुलंद इतना की हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बन्दे से खुद पूछे बता तेरी रेज़ा क्या है
अल्लामा इक़बाल के प्रसिद्ध शेर की एक व्याख्या महविश मौला ने पेश की। अंधेरी (मुंबई) के लोखंडवाला कॉम्प्लेक्स के यमुना नगर की 20 वर्षीय होनहार छात्रा महविश महबूब मौला ने लंदन के रॉयल होलोवे यूनिवर्सिटी से जुड़े रसेल स्क्वायर इंटरनेशनल कॉलेज से अकाउंटिंग और स्ट्रैटेजिक मैनेजमेंट विषयों में न केवल कॉलेज, यूनिवर्सिटी या देश में बल्कि वैश्विक स्तर पर शीर्ष स्थान हासिल किया है। इस उत्कृष्ट और उल्लेखनीय सफलता के साथ, महविश बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स करने की इच्छुक हैं, जिसके पहले वर्ष की पढ़ाई वह लंदन के इसी कॉलेज से कर रही हैं।
अंधेरी के जानकी देवी पब्लिक स्कूल से एसएससी पूरा करने वाली महविश मौला की शैक्षणिक उपलब्धियां शुरू से ही असाधारण रही हैं। पहली से नौवीं कक्षा तक के सभी परीक्षाओं में महविश ने हमेशा 85 से 90 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। एसएससी में 94 प्रतिशत अंक के साथ सफल होने के बाद महविश ने जुहू के रितुंबरा कॉलेज ऑफ कॉमर्स में दाखिला लिया। यहां भी उनकी शानदार प्रदर्शन की परंपरा जारी रही। इस मेधावी और प्रतिभाशाली छात्रा ने 11वीं में 96 प्रतिशत और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 86 प्रतिशत अंक हासिल किए।
डिग्री कॉलेज के पहले और दूसरे वर्ष की पढ़ाई महविश ने रॉयल होलोवे यूनिवर्सिटी से संबद्ध रसेल स्क्वायर इंटरनेशनल कॉलेज की सांताक्रूज़ शाखा से पूरी की, जबकि अंतिम वर्ष की पढ़ाई लंदन से की। फाइनल ईयर की परीक्षा में महविश ने सभी विषयों में कॉलेज में पहला स्थान प्राप्त किया और अकाउंटिंग व स्ट्रैटेजिक मैनेजमेंट की परीक्षा में 96 प्रतिशत (ए प्लस) अंक हासिल कर वैश्विक स्तर पर शीर्ष स्थान का सम्मान प्राप्त किया। महविश की उत्कृष्ट शैक्षणिक उपलब्धियों के कारण उन्हें दो बार 2 लाख और 5 लाख रुपये की स्कॉलरशिप भी मिल चुकी है। अब महविश बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स करने की इच्छुक हैं।
महविश ने ‘इंकलाब’ के प्रतिनिधि को बताया, “मेरी शैक्षणिक सफलता में मेरे पिता महबूब मौला और मां शमा का अहम योगदान है। माता-पिता ने हमेशा पढ़ाई के प्रति गंभीरता दिखाई। हर कदम पर मेरी मार्गदर्शिका और हौसलाअफ़जाई की, जिसकी बदौलत मुझे यह सफलता मिली है।”
महविश ने आगे कहा, “मेरे परिवार ने हमेशा आधुनिक शिक्षा के साथ घर का माहौल धार्मिक बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी वजह से मैंने क़ुरान-ए-पाक की तिलावत घर पर ही पूरी की। मैं नियमित रूप से तिलावत और नमाज अदा करती हूं। इस सफलता के लिए मैं रब-उल-आलमीन का दिल से शुक्रिया अदा करती हूं।”