महात्मा गांधी का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान अविस्मरणीय है: मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का शताब्दी समारोह और विजयादशमी उत्सव नागपुर में बड़े उत्साह और धूमधाम से आयोजित हुआ। इस ऐतिहासिक अवसर पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत मुख्य अतिथि रहे। समारोह में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सहित कई प्रमुख नेता मौजूद थे।
इस मौके पर दलाई लामा का संदेश भी पढ़ा गया, जिसमें उन्होंने आरएसएस को शुभकामनाएं दीं और इसके सामाजिक योगदान को सराहा। पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने अपने संबोधन में नागपुर को हेडगेवार और भीमराव आंबेडकर जैसी महान विभूतियों की भूमि बताते हुए कहा कि आरएसएस देश की एकता और सामाजिक जिम्मेदारी का प्रतीक है। उन्होंने संघ को “एक पवित्र और विशाल वटवृक्ष” बताया, जो लोगों को गौरव और प्रगति का अनुभव कराता है।
मोहन भागवत ने अपने भाषण में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार रखे। उन्होंने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ भारत की श्रद्धा और एकाग्रता का उदाहरण है, जबकि पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा धर्म पूछकर निर्दोषों की हत्या की गई। उन्होंने इस वर्ष गुरु तेग बहादुर की बलिदान जयंती और 2 अक्टूबर को गांधी जयंती तथा लाल बहादुर शास्त्री जयंती का उल्लेख करते हुए कहा कि यह सब देशभक्ति, सेवा और त्याग के सर्वोत्तम उदाहरण हैं। उन्होंने कहा, “महात्मा गांधी का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान अविस्मरणीय है और शास्त्रीजी का जीवन भक्ति व सेवा का प्रतीक है।”
भारत को किसी भी स्थिति में आत्मनिर्भर बनना होगा
भागवत ने देश की आर्थिक नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा टैरिफ अपनाना उसके हित में हो सकता है, लेकिन इसका असर दुनिया के सभी देशों पर पड़ता है। भारत को किसी भी स्थिति में आत्मनिर्भर बनना होगा और स्वदेशी को प्राथमिकता देनी होगी। उन्होंने कहा कि वैश्विक संबंध जरूरी हैं, लेकिन उन्हें मजबूरी का कारण नहीं बनना चाहिए।
असंतोष को हिंसक आंदोलनों के जरिए व्यक्त करना सही रास्ता नहीं
नेपाल में हाल ही में हुई हिंसा पर टिप्पणी करते हुए भागवत ने कहा कि असंतोष को हिंसक आंदोलनों के जरिए व्यक्त करना सही रास्ता नहीं है। ऐसे अवसरों पर बाहरी स्वार्थी ताकतें हस्तक्षेप कर सकती हैं, जो पड़ोसी देशों के लिए भी चिंता का विषय है।
देश के भीतर नक्सलवाद और उग्रवादी गतिविधियों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की कड़ी कार्रवाई और जनता की जागरूकता के चलते इस समस्या पर काफी हद तक काबू पाया गया है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में न्याय, विकास, सद्भाव और सहानुभूति सुनिश्चित करने के लिए व्यापक योजना बनानी होगी।
समारोह में भागवत ने स्पष्ट किया कि आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन का कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि निर्भरता हमारी मजबूरी न बने, बल्कि हम अपनी इच्छानुसार स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ सकें। इस तरह आरएसएस का यह शताब्दी समारोह केवल विजयादशमी का पर्व नहीं रहा, बल्कि इसमें राष्ट्रीय एकता, स्वदेशी, सामाजिक जिम्मेदारी और बलिदान की परंपरा पर जोर दिया गया। नागपुर की यह ऐतिहासिक सभा संगठन की शताब्दी यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव बनी।


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