मालेगांव में बॉम्बे हाईकोर्ट के समय पर हस्तक्षेप से बुलडोज़र कार्यवाई रुकी
महाराष्ट्र के घनी मुस्लिम आबादी वाले शहर मालेगांव में सैकड़ों गरीब निवासियों को आज बॉम्बे हाईकोर्ट ने अस्थायी राहत देते हुए न सिर्फ घर खाली करने के नोटिस पर रोक लगाई, बल्कि तहसीलदार को यह कहते हुए फटकार भी लगाई कि उसने केवल गरीब तबके के लोगों को ही झुग्गियां खाली करने का नोटिस दिया है, जबकि किले के भीतर चल रहे मराठी स्कूल, जिमखाना और टेनिस कोर्ट को नोटिस क्यों नहीं दिया गया।
बॉम्बे हाईकोर्ट की समय पर हस्तक्षेप से मुस्लिम बस्ती पर चल रहा बुलडोज़र रुक गया। बॉम्बे हाईकोर्ट की अवकाशकालीन पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति गौरी गोडसे और न्यायमूर्ति सोमिक्षा संदरशन शामिल थे, ने उस याचिका पर सुनवाई की जिसमें ‘किला झोपड़पट्टी’ के नाम से मशहूर मुस्लिम बस्ती को खाली कराने के लिए निगम द्वारा भेजे गए नोटिस को चुनौती दी गई थी।
सौ से अधिक गरीब निवासियों ने तहसीलदार द्वारा जारी नोटिस पर रोक लगाने की अपील की थी। दो दिन पहले तहसीलदार ने ये नोटिस वितरित किए थे और 31 मई तक झुग्गियां खाली करने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान, निवासियों की ओर से अधिवक्ता देसाई ने अदालत को बताया कि हाईकोर्ट के अंतरिम स्टे के बावजूद गरीबों को नोटिस भेजे गए और जबरन झुग्गियां खाली करने को कहा गया, जबकि ये बस्ती पुरानी किले के बाहर है और लगभग 40 सालों से बसी हुई है। यह बस्ती कलेक्टर की जमीन पर है।
अदालत को यह भी बताया गया कि किले के अंदर मराठी स्कूल, जिमखाना और टेनिस कोर्ट अब भी चल रहे हैं और उन्हें खाली करने का कोई नोटिस नहीं दिया गया है। वकील ने यह भी कहा कि मालेगांव तहसीलदार कुछ सांप्रदायिक ताक़तों के दबाव में आकर गरीब मुसलमानों की बस्ती उजाड़ने के लिए बार-बार नोटिस जारी कर रहा है, जबकि मामला बॉम्बे हाईकोर्ट में अभी विचाराधीन है।