वकीलों और जजों को संविधान के प्रति वफादार होना चाहिए: डीवाई चंद्रचूड़

वकीलों और जजों को संविधान के प्रति वफादार होना चाहिए: डीवाई चंद्रचूड़

नई दिल्ली, एजेंसी। संविधान दिवस के अवसर पर देश के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि संवैधानिक लोकतंत्र में कॉलेजियम समेत कोई भी संस्था परिपूर्ण नहीं है और इसका समाधान मौजूदा व्यवस्था के भीतर काम करना है। चंद्रचूड़ ने ये बात शनिवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह में कहा। उन्होने कहा कि न्यायाधीश वफादार सैनिक होते हैं जो संविधान लागू करते हैं।

लोकसभा चुनाव से पहले डीवाई चंद्रचूड़ ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि वकीलों और जजों को संविधान के प्रति वफादार होना चाहिए। जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस बात पर जोर दिया कि जजों को गैर-पक्षपातपूर्ण होना‌ जरूरी है

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने नागपुर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के शताब्दी समारोह में कहा, “हमारे जैसे जीवंत और तर्कपूर्ण लोकतंत्र में, ज्यादातर लोगों का झुकाव किसी न किसी राजनीतिक विचारधारा की तरफ होता है। अरस्तू ने कहा था कि मनुष्य राजनीतिक प्राणी हैं, और वकील कोई अपवाद नहीं हैं। हालांकि, बार के सदस्यों को अदालत और संविधान के साथ पक्षपातपूर्ण नहीं होना चाहिए।

सीजेआइ ने कहा कि अच्छे वकीलों को न्यायपालिका में प्रवेश दिलाना केवल कॉलेजियम में सुधार करने का काम नहीं है। न्यायाधीश बनाना इससे जुड़ा नहीं है कि आप कितना वेतन न्यायाधीशों को देते हैं। आफ न्यायाधीशों को कितना भी अधिक वेतन दे दें, लेकिन ये एक सफल वकील की कमाई का एक अंश ही होगा। सीजेआइ ने कहा कि जज बनना अंतरात्मा की पुकार है।

उन्होंने कहा कि न्यापालिका बार-बार अपनी अपनी स्वतंत्रता और गैर-पक्षपातपूर्णता, कार्यपालिका, विधायिका और निहित राजनीतिक हितों से शक्तियों के अलगाव के लिए आगे आई है, हालांकि हमको यह नहीं भूलना चाहिए कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और बार की स्वतंत्रता के बीच गहरा संबंध है। उन्होंने कहा कि एक संस्था के रूप में बार की स्वतंत्रता “कानून के शासन और संवैधानिक शासन की रक्षा के लिए नैतिक कवच” के रूप में कार्य करती है।

ये टिप्पणियाँ महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये सीजेआई द्वारा सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता आदिश अग्रवाल को उनके पत्र के लिए खुली अदालत में फटकार लगाने के कुछ ही दिनों बाद आई हैं, जिसमें उन्होंने चुनावी बांड के फैसले की स्वत: समीक्षा की मांग की थी।

सीजेआई ने आगे कहा कि न्यायपालिका बार-बार अपनी स्वतंत्रता और “गैर-पक्षपातपूर्णता, कार्यपालिका, विधायिका और निहित राजनीतिक हितों से शक्तियों के पृथक्करण” पर जोर देने के लिए आगे आई है। सीजेआई ने कहा, “हालांकि, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और बार की स्वतंत्रता के बीच घनिष्ठ संबंध है।”

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