लालू यादव की बढ़ीं मुश्किलें, दो मामलों में फिर होगी सुनवाई

लालू यादव की बढ़ीं मुश्किलें दो, मामलों में फिर होगी सुनवाई

झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि जमानत के आदेश का आधार गलत है। लालू यादव ने अपेक्षित समय तक जेल में नहीं रहे है।

चारा घोटाले मामले में राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें किसी तरह कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। लालू यादव को दो मामलों में मिली जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट दोबारा सुनवाई को तैयार हो गया है। झारखंड सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हुआ है। दुमका और चाईबासा कोषागार केस में झारखंड हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से ये अपील की गई है। झारखंड सरकार ने कहा है कि जमानत आदेश का आधार गलत है। लालू यादव ने अपेक्षित समय जेल में नहीं बिताया है।

झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जमानत की अर्जी मंजूर करते वक़्त झारखंड हाई कोर्ट ने कहा था कि लालू यादव पहले ही सजा का आधा हिस्सा काट चुके हैं। लेकिन लालू यादव को दो मामलों में कुल मिलाकर 14 साल जेल में बिताने थे। जब कि वह में एक साल से भी कम समय जेल में रहे है। इसलिए हाईकोर्ट का यह फैसला सही नहीं है और उसे रद्द किया जाए।

जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बी आर गवई की बेंच ने लालू को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। गौरतलब है कि झारखंड सरकार ने राजद नेता यादव को 2021 में दुमका कोषागार मामले और 2020 में चाईबासा कोषागार मामले में दी गई जमानत के खिलाफ अपील दायर की है। दुमका कोषागार मामले में उन्हें पूर्व में बिहार के झारखंड के दुमका शहर में कोषागार से 3.13 करोड़ रुपये निकालने का दोषी पाया गया था।

बता दें कि दुमका कोषागार केस में 1991 और 1996 के बीच बिहार के पशुपालन विभाग के अधिकारियों द्वारा दुमका कोषागार से निकाला गया धन शामिल है जब लालू यादव मुख्यमंत्री थे चाईबासा कोषागार मामले में भी उन पर ऐसे ही आरोप हैं। इन मामलों में झारखंड हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी। चारा घोटाला मामले में लालू यादव पर कुल 5 मुकदमे चल रहे हैं।

उनमें से 4 मामलो  में उन्हें जमानत मिल गई थी लेकिन पांचवें में उन्हें दोषी ठहराया गया था उन्हें पांच साल जेल और 60 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। रांची की एक विशेष अदालत ने चारा घोटाले के एक मामले में डोरंडा कोषागार से
धोखाधड़ी से 139.35 करोड़ रुपये निकालने का दोषी ठहराते हुए ये सजा सुनाई थी।

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