कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला निराशाजनक: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा मस्जिद में ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने वालों के खिलाफ मामला खारिज करने के फैसले ने व्यापक प्रतिक्रिया उत्पन्न की है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस फैसले को निराशाजनक करार दिया है और कहा है कि इस प्रकार के फैसले न केवल सांप्रदायिक तत्वों का मनोबल बढ़ाते हैं, बल्कि समाज में सांप्रदायिक तनाव को और भी हवा दे सकते हैं। बोर्ड के प्रवक्ता डॉक्टर सैयद कासिम रसूल इलियास ने एक प्रेस बयान में इस मुद्दे पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि कोर्ट द्वारा इस घटना को ‘मामूली’ करार देना बेहद चिंता का विषय है।
डॉ. इलियास ने अपने बयान में कहा कि मस्जिद एक धार्मिक स्थल है, जहां लोगों का इबादत के लिए आना होता है। ऐसी जगह पर रात के समय असामाजिक तत्वों का घुसना और ‘जय श्री राम’ के नारे लगाना न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत करता है, बल्कि यह एक स्पष्ट रूप से उकसावे की कार्रवाई है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं को नजरअंदाज करना और इसे मामूली घटना करार देना, देश के धार्मिक और सामाजिक ताने-बाने के लिए खतरनाक हो सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि अगर ऐसे कृत्यों को कानून द्वारा गंभीरता से नहीं लिया गया, तो इससे असामाजिक और सांप्रदायिक ताकतों को और भी प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि उच्च न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जाएगी, ताकि न्याय मिले और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का मानना है कि इस प्रकार की घटनाओं से देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को नुकसान पहुंचता है, और न्यायालयों की जिम्मेदारी है कि वे ऐसे मामलों में संतुलित और निष्पक्ष दृष्टिकोण अपनाएं, ताकि किसी भी समुदाय के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन न हो।
डॉ. इलियास ने कहा कि इस फैसले ने एक खतरनाक संदेश दिया है कि धार्मिक स्थलों पर भीड़ द्वारा की गई इस तरह की उकसावे की कार्रवाइयों को नजरअंदाज किया जा सकता है। उन्होंने देश के सभी नागरिकों से अपील की कि वे शांति और सौहार्द्र बनाए रखें और न्याय की लड़ाई जारी रखें।
इस मुद्दे पर कई मुस्लिम संगठनों ने भी नाराजगी जताई है और उम्मीद जताई है कि न्यायपालिका आगे इस मामले में सुधारात्मक कदम उठाएगी। साथ ही, उन्होंने सरकार से इस प्रकार की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई की मांग की है, ताकि देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र को कायम रखा जा सके।