जस्टिस मदन बी. लोकुर संयुक्त राष्ट्र न्याय परिषद के चेयरमैन नियुक्त
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भारत के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मदन बी. लोकुर को संयुक्त राष्ट्र की इंटरनल जस्टिस काउंसिल (United Nations Internal Justice Council) का चेयरमैन नियुक्त किया है। यह नियुक्ति अंतरराष्ट्रीय न्याय क्षेत्र में भारत के बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है। उनकी नियुक्ति की अवधि 12 नवंबर 2028 तक तय की गई है।
संयुक्त राष्ट्र की इंटरनल जस्टिस काउंसिल का महत्व
संयुक्त राष्ट्र की यह काउंसिल उन विवादों और मामलों की सुनवाई करती है जो संयुक्त राष्ट्र कर्मचारियों और संगठन के प्रशासनिक कार्यों से जुड़े होते हैं। यह संस्था संयुक्त राष्ट्र के न्याय तंत्र को मजबूत करने और संगठन के भीतर पारदर्शिता बनाए रखने के लिए स्थापित की गई है। इस काउंसिल में दुनिया भर के सबसे अनुभवी और प्रतिष्ठित जज शामिल होते हैं।
काउंसिल के वर्तमान सदस्य:
कारमेन आर्टिगस (उरुग्वे)
रोज़ली बाल्किन (ऑस्ट्रेलिया)
स्टीफन ब्रेज़िना (ऑस्ट्रिया)
जे. पोज़िनल (अमेरिका)
जस्टिस मदन बी. लोकुर: एक सम्मानित करियर
जस्टिस लोकुर का जन्म 1953 में हुआ था। उन्होंने 4 जून 2012 को भारत के सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में शपथ ली। अपने करियर के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की, जिसमें सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण, और मानवाधिकारों से जुड़े विषय प्रमुख हैं।
30 दिसंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त होने के बाद, 2019 में उन्हें फिजी के सुप्रीम कोर्ट में गैर-स्थायी पैनल जज के रूप में नियुक्त किया गया। वह यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय जज बने।
इस नियुक्ति का महत्व
भारत के लिए गर्व का क्षण: जस्टिस लोकुर की नियुक्ति ने भारत की न्यायिक क्षमता और अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक पहचान को नई ऊंचाई दी है। यह नियुक्ति इस बात का प्रमाण है कि भारत के न्यायाधीश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी निष्पक्षता और योग्यता के लिए सम्मानित हैं।
भारतीय न्याय प्रणाली का प्रभाव: जस्टिस लोकुर का चयन भारतीय न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को दर्शाता है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां पारदर्शिता और निष्पक्षता की आवश्यकता है।