दलित मुस्लिम और ईसाइयों को SC का दर्जा दिलाने के लिए जमीयत उलेमाए हिंद, सुप्रीम कोर्ट जाएगी
जमीयत उलेमाए हिंद अब इस्लाम और ईसाई धर्म अपनाने वाले दलितों के लिए सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ेगी। जमीयत की मांग है कि जिन दलितों ने इस्लाम या ईसाई धर्म अपना लिया है, उन्हें दलित होने के अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। यदि वे इस्लाम या ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गए हैं, तो उन्हें वह सभी सुविधाएँ और अधिकार मिलने चाहिए जो उन्हें पहले मिल रहे थे।
इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने के सवाल पर जमीयत उलेमाए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महमूद मदनी ने कहा कि जमीयत लंबे समय से इसकी मांग कर रही है, इसके बावजूद सरकारों ने इस मामले में अभी तक कोई सुनवाई नहीं की. इसीलिए जमीयत अब अपनी इस मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट जा रही है।
जमीयत उलेमाए हिंद द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के बारे में पूछे जाने पर जमीयत उलेमाए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि याचिका में सच्चर समिति और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग 2008 सहित रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्ट शामिल है. ये रिपोर्ट सबूत के तौर पर पेश की गई हैं। जमीयत इस जंग को पूरी ताकत से लड़ेगी। मौलाना महमूद मदनी ने यह भी कहा कि याचिका दायर करने का विचार काफी समय से चल रहा था। इस याचिका को दायर करने के लिए वर्तमान समय सबसे अच्छा समय है।
जमीयत पहले भी सत्ताधारी सरकारों से मांग करती रही है कि धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए और दलित मुसलमानों और ईसाइयों को उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. अब जमीयत ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जमीयत उलेमाए हिंद हमेशा राजनीतिक, संवैधानिक, सामाजिक और शैक्षिक मंचों पर मुसलमानों के लिए लड़ती है। संगठन का मुख्य उद्देश्य मुसलमानों की समस्याओं को कानूनी तरीके से लड़ना है।