जहांगीरपुरी, दस्तावेज़ के बाद भी दुकान और घरों पर चला दिए बुलडोज़र
देश में भाजपा के उत्थान के बाद से ही कई समुदाय विशेष रूप मुस्लिम समुदाय हाशिए पर चला गया है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, दिल्ली आदि राज्यों में आए दिन भाजपा के निशाने पर मुस्लिम समुदाय रहा है।
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बाद दिल्ली के जहांगीरपुरी में बुलडोजर कार्रवाइयों के बाद एक बार फिर देश की राजनीति गरमाई हुई है। हिंदुत्ववादी दलों की ओर से राम नवमी और शोभयात्रा में मचाए गए उन्माद और उत्पात के बाद जहांगीरपुरी में हिंसा हुई थी जिसके बाद भाजपा के अधीन दिल्ली नगर निगम ने यहां अतिक्रमण हटाने के नाम पर मुस्लिम समुदाय के घरों और दुकानों पर बुलडोजर चला दिया।
भाजपा की इस मुहीम में कई परिवार पूरी तरह से उजड़ गए हैं। बुलडोजर की कार्यवाही में घरों के साथ-साथ लोगों की छोटी-छोटी दुकानें और रेहडी तक भी बर्बाद कर दी गई है। पीड़ितों के अनुसार यह कार्यवाही खुन्नस में की गई है।
सोशल मीडिया पर एक तस्वीर काफी वायरल हुई थी जिसमें एक महिला अपनी दुकान के बाहर बिखरा टूटा हुआ सामान समेट रही है। यह तस्वीर रहीमा की थी। रहीमा के अनुसार, मैं रो-रो कर उन्हें मना कर रही थी। मैं उनसे कह रही थी मेरा जो सामान टूटा है मुझे वह तो समटने दो। आपने सामान तो तोड़ दिया अब मुझे उठाने तो दो, लेकिन उन्होंने मुझे सामान भी उठाने नहीं दिया। मैंने ₹200000 लोन लेकर दुकान की थी। मेरा ₹400000 का नुकसान हुआ है। दुकान में 70000 का सामान और तीन फ्रिज थे।
जहांगीरपुरी में 1978 से रह रहे गणेश कुमार गुप्ता भी पीड़ितों में शामिल हैं। वह जी ब्लॉक में जूस की एक दुकान चलाते हैं थे उस पर भी बुलडोजर की कार्यवाही हुई है। उन्होंने कहा कि यह दुकान सरकार ने दी थी। हमारे पास कागज भी मौजूद थे। कागज दिखाएं भी गए लेकिन उन्होंने फिर भी दुकान तोड़ दिया जबकि मैं प्रति वर्ष ₹4836 सरकारी टैक्स देता हूं।
गणेश कुमार गुप्ता के नौसर वह समुदाय विशेष को निशाना बनाते हुए कार्यवाही कर रहे थे लेकिन सिर्फ यह दिखाने के लिए के हमने हिंदुओं के खिलाफ भी एक्शन लिया है उन्होंने मेरी दुकान भी तोड़ दी। सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद भी तोड़फोड़ बंद नहीं हुई।
जहांगीरपुरी में पिछले 10 साल से रेहडी लगाने वाली रुकैया की रेहड़ी पर भी बुलडोजर चला दिया गया। वह कहती हैं, मैंने पुलिस वालों से कहा कि मुझे रेहड़ी तो हटाने की अनुमति दो लेकिन उन्होंने मेरी एक नहीं सुनी। बुलडोज़र के पास खड़े लोगों ने कहा कि इसे भी तोड़ो और उन्होंने उस पर भी बुलडोजर चला दिया। यह सब खुन्नस और नफरत में हुआ है। मैं किराए के घर में रहती हूं। मैंने बैंक से ₹80000 लोन लिया था। अब रेहड़ी टूट जाने के बाद मैं अपने बच्चों का पेट भी नहीं भर सकती।
बुलडोजर कार्यवाही की एक और पीड़िता साहिबा कहती हैं, बुलडोजर चल रहा था तो हमने कहा हमें सामान तो हटाने दो लेकिन उन्होंने हमारी एक नहीं सुनी। इससे पहले भी कभी नगर निगम की कार्यवाही होती थी तो हमें समय दिया जाता था। एक और पीड़ित महिला का कहना है कि हमने ₹20000 का लोन लेकर छोटी सी दुकान लगाई थी। पिछले 40 वर्षों से हम यहां दुकान चला रहे हैं। बिना नोटिस दिए हमारी दुकान तोड़ दी गई, क्या पता वह कल आकर हमारा घर भी तोड़ दें। हम डर के साए में रह रहे हैं। हम किस प्रकार अपने परिवार का लालन पालन करेंगे।
यहां बहुत से ऐसे घर हैं जिनके इस तरह तोड़ा गया है कि बाहर आने जाने का रास्ता बंद हो गया। वहीं कई परिवार छतों पर फंसे रह गए क्योंकि नीचे उतरने का जो रास्ता था उसे बुलडोजर ने तोड़ दिया है। घर के सामने पुलिस लगी है, पुलिस ने परिवार के अन्य लोगों से भी मिलने पर रोक लगा रखी है।
पीड़ितों का कहना है कि जैसे पंछी को पिंजरे में बंद कर दिया जाता है बहुत से लोगों को इस तरह उनके टूटे घरों में कैद कर दिया गया है। वह घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं क्योंकि नीचे उतरने और बाहर जाने का रास्ता तोड़ दिया गया है।