भारत, रूस-यूक्रेन संकट का चाहता है राजनयिक समाधान

भारत, रूस-यूक्रेन संकट का चाहता है राजनयिक समाधान

रूस यूक्रेन संकट को लेकर एक बार फिर दुनिया में युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं ।

भारत ने पिछले 6 दिनों से युद्ध की कगार पर खड़े रूस और यूक्रेन से इस संकट के राजनयिक एवं शांतिपूर्ण समाधान की अपील की है।

रूस यूक्रेन विवाद गहराता जा रहा है भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि हम इस मामले का शांतिपूर्ण समाधान देखना चाहते हैं रूस और यूक्रेन के बीच उपजे तनाव पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम इस संकट के राजनयिक वार्ता के माध्यम से समाधान करने में जुटे हुए हैं।

भारतीय विदेश मंत्री के विदेश दौरे का कार्यक्रम बताते हुए विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि हम इस संकट का राजनीतिक समाधान होता देखना चाहते हैं। यूक्रेन और रूस के बीच बढ़ते विवाद को लेकर अमेरिका ने कहा था कि भारत नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध है। अमेरिका ने रूस यूक्रेन युद्ध की दशा में भारत से सहयोग की अपेक्षा रखते हुए कहा था कि हम उम्मीद करते हैं कि अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो भारत अमेरिका के साथ खड़ा होगा।

बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में हाल ही में क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी। भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के विदेश मंत्रियों के बीच हुई इस बैठक में रूस और यूक्रेन संकट पर भी चर्चा हुई थी। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने विदेश मंत्री की18 से 23 फरवरी तक जर्मनी और फ्रांस यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर जर्मनी में होने वाले म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।

भारतीय विदेश मंत्री इंडो-पैसिफिक पर एक पैनल चर्चा में भी हिस्सा लेंगे साथ ही भारत के दूतावास और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित आजादी के अमृत महोत्सव समारोह में भी शामिल होंगे। जर्मनी के बाद भारतीय विदेश मंत्री पेरिस जाएंगे तथा 22 फरवरी को इंडो पेसिफिक में सहयोग के लिए यूरोपीय संघ के मंत्री स्तरीय मंच में हिस्सा लेंगे।

बता दें कि चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच हिंद प्रशांत क्षेत्र में खतरे को महसूस करते हुए यूरोप ने भारत के साथ आने का फैसला किया है। फ्रांस ने घोषणा की थी कि यूरोपीय यूनियन और हिंद प्रशांत के बीच रिश्तों को लेकर 22 फरवरी को पेरिस में एक समारोह आयोजित किया जाएगा जिसे पेरिस फोरम का नाम दिया गया है।

भारत ने फ्रांस के निर्णय का स्वागत किया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि फ्रांस भी हिंद प्रशांत क्षेत्र में अहम मौजूदगी दर्ज कराता है। हिंद प्रशांत को ध्यान में रखते हुए भारत और फ्रांस की साझेदारी बढ़ाने का निर्णय एक सामयिक फैसला है। वहीँ क्वाड देशों अन्य देशों को शामिल करने पर विदेश मंत्री ने कहा मानदारी से कहूं तो हमें नहीं पता कि क्वाड के 3 सदस्य देशों का इस पर क्या रुख है। यह अभी नया संगठन है, हमें एजेंडा तय करने में भी समय लगेगा। हिन्द प्रशांत के अलावा जयशंकर ने भारत के प्रयासों पर कहा कि मोदी सरकार ने अफ्रीका में 18 नए दूतावास खोले हैं। अफ्रीका के प्रति हम अपने अपने विकास के वादों को निभाना जारी रखेंगे। वहां अभी काफी काम किए जाने की आवश्यकता है।

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