भारत ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण का आधिकारिक जवाब नहीं दिया: मोहम्मद यूनुस
दिसंबर में, नई दिल्ली ने बांग्लादेश से प्राप्त एक मौखिक अनुरोध की पुष्टि की थी, जिसमें शेख हसीना को बांग्लादेश में मुकदमे का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित करने की मांग की गई थी। बुधवार को स्काई न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने कहा कि ढाका ने भारत को बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए आधिकारिक पत्र भेजे थे, लेकिन इस मामले में भारत की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
मोहम्मद यूनुस ने ज़ोर देकर कहा कि शेख हसीना बांग्लादेश में हों या न हों, उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा। गौरतलब है कि शेख हसीना 10 साल तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रही थीं, लेकिन 5 अगस्त को छात्रों के विरोध प्रदर्शनों के बाद उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा। इसके बाद, 8 अगस्त को नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया था। यूनुस का कहना है कि उनकी सरकार शेख हसीना के शासनकाल, छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई मौतों, मानवाधिकार हनन और अन्य अपराधों के लिए मुकदमा चलाना चाहती है।
शेख हसीना पर 51 मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 42 मामले हत्या से जुड़े हैं। उनके खिलाफ दो गिरफ्तारी वारंट भी जारी किए जा चुके हैं। यूनुस ने आगे कहा कि सिर्फ हसीना ही नहीं, बल्कि उनके शासन में शामिल सभी लोगों पर भी मुकदमा चलेगा। हालांकि, शेख हसीना ने इन सभी आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा है कि उन्हें राजनीतिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।
2013 में भारत और बांग्लादेश के बीच हुए प्रत्यर्पण समझौते में कहा गया है कि यदि प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध किया गया अपराध ‘राजनीतिक प्रकृति’ का है, तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है। हालांकि, टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, इस समझौते में यह भी स्पष्ट किया गया है कि हत्या जैसे अपराधों को ‘राजनीतिक अपराध’ नहीं माना जाएगा। शेख हसीना के भारत में शरण लेने के बाद से भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। इसके बाद बांग्लादेश के कई हिस्सों में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं की भी खबरें आई हैं।