औरंगाबाद में दोनों गुटों ने आपसी सहमति से दंगा केस वापस लिया
जून महीने में औरंगाबाद के कन्नड़ तालुका में हुए सांप्रदायिक दंगों में गिरफ्तार दोनों समुदायों के युवाओं की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है। कारण यह है कि दोनों समाज के सम्मानित लोगों ने केस वापस लेने और क्षेत्र में भाईचारा कायम करने का निर्णय लिया था। इसके लिए औरंगाबाद बेंच में याचिका दायर की गई थी, जिस पर कोर्ट ने फैसला सुनाया है।
याद रहे कि 29 जून 2023 को औरंगाबाद के कन्नड़ तालुका के शैल गांव में एक शादी के जुलूस में मस्जिद के सामने डीजे बज रहा था। स्थानीय लोगों ने डीजे बजाने से मना किया तो दोनों गुटों में बहस शुरू हो गई जो पहले मारपीट और फिर दंगे में बदल गई। एक पक्ष की ओर से दूसरे गुट के एक युवक पर चाकू से हमला कर दिया गया। पुलिस ने इस मामले में दंगे का मामला दर्ज किया था और बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां की थीं।
शेल गांव के अधिवक्ता अभय सिंह, अधिवक्ता नालेश डेसले और अधिवक्ता मिथन भास्कर द्वारा उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ में याचिका दायर की थी कि जिन लोगों पर दंगे का आरोप था वह आम नागरिक थे। उनके खिलाफ पहले कोई मामला पुलिस में दर्ज नहीं था। साथ ही इस मारपीट में कोई जनहानि नहीं हुई, जिन लोगों को चोटें आईं वो भी मामूली थीं। इसलिए आरोपियों से केस वापस लिया जाए। क्योंकि इसमें दोनों पक्षों के लोग शामिल हैं। इससे दोनों समाजों में एकता स्थापित होने का मार्ग खुलेगा।
कोर्ट ने याचिका में पेश किए गए तर्कों से सहमत होकर केस खत्म करने का आदेश दे दिया। हालांकि, आरोपियों को प्रति व्यक्ति 5 हजार रुपये यानी कुल 1 लाख 75 हजार रुपये देने का निर्देश दिया गया। यह पैसा दत्ता जी भाले ट्रस्ट (जो रक्तदान के लिए काम करता है) और हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच की लाइब्रेरी पर खर्च किया जाएगा। स्थानीय लोगों का कहना है कि मस्जिद के सामने डीजे बजाने को लेकर हुए विवाद को उसी वक्त सुलझाया जा सकता था, लेकिन कुछ नेताओं के हस्तक्षेप से विवाद खत्म होने की बजाय और बढ़ गया। आख़िरकार पुलिस ने दंगे का मामला दर्ज कर लिया था।