पंजाब को चंडीगढ़ चाहिए तो हरियाणा की शर्तें स्वीकार करे
पंजाब और हरियाणा के बीच चंडीगढ़ को लेकर जारी विवाद सुलझने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
पंजाब विधानसभा में चंडीगढ़ को लेकर पेश हुए प्रस्ताव के खिलाफ हरियाणा विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। विधानसभा स्पीकर की अध्यक्षता में बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में विधायी कार्यों और एजेंडे को लेकर चर्चा की गई। इस बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, उपमुख्यमंत्री दुष्यंत सिंह चौटाला, पूर्व मुख्यमंत्री एवं विपक्षी नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, डिप्टी स्पीकर रणवीर सिंह गंगवा गृह मंत्री अनिल विज समेत संसदीय कार्य मंत्री मौजूद रहे।
पंजाब के दावे पर जवाब देते हुए हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कुछ शर्ते बयान करते हुए कहा कि पंजाब जब तक हमारी तीन शर्ते पूरी नहीं करता तब तक चंडीगढ़ हरियाणा की राजधानी रहेगा।
पंजाब विधानसभा में चंडीगढ़ को लेकर अब तक 7 प्रस्ताव पारित हो चुके हैं वहीँ हरियाणा विधानसभा में भी चंडीगढ़, एसवाईएल और अलग हाईकोर्ट जैसे मुद्दों को लेकर अब तक 12 बार प्रस्ताव पारित हो चुके हैं। पंजाब ने जहां चंडीगढ़ पर अपना पूरा अधिकार जमाते हुए प्रस्ताव पास किया वहीँ हरियाणा ने भी चंडीगढ़ को लेकर प्रस्ताव पास करते हुए पंजाब सरकार के खिलाफ निंदा प्रस्ताव भी पेश किया है।
चंडीगढ़ से अलग हरियाणा विधानसभा में हिंदीभाषी क्षेत्रों एवं एसवाईएल नहर को लेकर भी चर्चा हुई। हरियाणा और पंजाब के बीच चंडीगढ़ समेत हिंदी भाषी क्षेत्र एवं एसवाईएल नहर को लेकर भी विवाद गहरा रहा है। हरियाणा ने साफ कर दिया है कि जब तक हमें हिंदी भाषी क्षेत्र , एसवाईएल नहर का पानी एवं केंद्र से पैसा नहीं मिल जाता तब तक चंडीगढ़ पर हमारा भी अधिकार रहेगा और वह हरियाणा की राजधानी रहेगा।
हरियाणा ने स्पष्ट कहा है कि जब तक हमारी यह तीनों मांगे नहीं मानी जाती तब तक पंजाब को पूरी तरह से चंडीगढ़ नहीं मिल पाएगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट एसवाईएल नहर निर्माण को लेकर पहले ही हरियाणा के पक्ष में फैसला सुना चुका है जिसे लागू कराने के लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट भी गई। सुप्रीम कोर्ट दोनों राज्यों को मिल बैठकर नहर निर्माण का रास्ता निकालने का आदेश दे चुका है इस संबंध में केंद्र सरकार को भी सुप्रीम कोर्ट निर्देश दे चुका है।
पंजाब में आप सरकार के चंडीगढ़ को लेकर उठाए ताजा कदम से दोनों राज्यों की सियासत गरमाई हुई है। हालाँकि पंजाब में प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली पूर्व की अकाली और कैप्टन अमरेंद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार भी एसवाईएल पर प्रस्ताव पास कर चुकी है।